Sahara का पैसा केंद्र सरकार के खाते में होगा जमा, जानें अर्थव्यवस्था और मार्केट बॉन्ड पर क्या पड़ेगा असर

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Sahara Money Refund: सहारा इंडिया प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की मौत के बाद से सरकार सहारा-सेबी रिफंड खाते में पड़ी लावारिस धनराशि को भारत के संचित कोष में स्थानांतरित करने की वैधता तलाश रही है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बकायेदारों को भुगतान के बाद सहारा समूह से बैंकों में जमा 25,163 करोड़ रुपये धनराशि बरामद की गयी थी. मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सहारा के निवेशकों को लौटाने के लिए बैंकों में खोले गए स्पेशल अकाउंट में पड़ा है. सेबी के पास जमा रिफंड खाते में 11 वर्ष में खातों में जमा पैसा लेने के लिए पात्र निवेशक नहीं मिलने के कारण आज भी पैसा वैसे ही पड़ा हुआ है. अब सहारा प्रमुख की मौत के बाद, केंद्र सरकार खातों में जमा पैसे को भारत सरकार के संचित निधि (Consolidated Fund Of India) में डालने पर विचार कर रही है. हालांकि, इसके लिए अभी कानूनी प्रक्रिया के बारे में विचार किया जा रहा है. इसके बाद, निवेशकों को पैसे रिफंड करने के बाद, अगर पैसा बचता है तो सरकार उससे अस्पताल में आने वाले गरीब लोगों के इलाज के लिए खर्च कर सकती है.

बाजार पर क्या पड़ेगा असर

केंद्र सरकार के द्वारा अगर, वैधानिक प्रक्रिया पूरी करके, सहारा का पूरा पैसा संचित निधि में शामिल कर लेती है, तो उससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा. इससे केंद्र द्वारा उधार लेने के लिए आवश्यक धन की मात्रा में इसी तरह की गिरावट होगी. हालांकि, इससे सीधे रुप से सरकारी बांड पर बड़ा प्रभाव नहीं होगा. वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र ने पिछले तीन महीनों में औसत मासिक आधार पर 1.45 लाख करोड़ रुपये के बांड जारी किया है. नवंबर में सरकार 1.29 लाख करोड़ रुपये के बांड बेचने वाली है. यानी साप्ताहिक स्तर पर औसत तीस हजार करोड़ रुपये प्रतिमाह. ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार उधार क्यों लेती है. इसे आसान शब्दों में समझने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने राजकोषीय घाटे, या अपने राजस्व और अपने व्यय के बीच की कमी को पाटने के लिए धन उधार लेती हैं. उधार बांड जारी करके किया जाता है जो बड़े पैमाने पर संस्थागत निवेशकों जैसे बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और भविष्य निधि द्वारा खरीदा जाता है. खुदरा निवेशकों के लिए भी सरकारी बांड खरीदने का प्रावधान है, हालांकि उनकी अभी तक भागीदारी कम है.

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा पैसा वापस

सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों के पैसे वापस करने का आदेश दिया था. अपने आदेश में संस्थान ने आरोप लगाया था कि दोनों कंपनियों ने नियम और विनियम का उल्लंघन करके धन जुटाया था. इसके बाद, एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के प्रति सख्त रूख अपनाते हुए सेबी के आदेश को बरकरार रखा और 15 प्रतिशत ब्याज के साथ धन को वापस करने का आदेश दिया. इसके लिए सेबी के पास करीब 24000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया. इस दौरान कंपनी की तरफ से लगातार कहा जाता रहा गया है कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों के निवेशकों को 11 वर्षों में 138.07 करोड़ रुपये वापस किया.

कितने निवेशकों ने रिफंड का किया आवेदन

सेबी को 31 मार्च, 2023 तक 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए. इनमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि लौटाई गई, जिसमें 67.98 करोड़ रुपये की ब्याज राशि भी शामिल है. इस बीच केंद्र सरकार के द्वारा निवेशकों को सहूलियत देते हुए, पैसा लौटाने के लिए पोर्टल की शुरूआत की गयी. सरकार सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑप को-ऑपरेटिव सोसाइटी (CRCS) – सहारा रिफंड पोर्टल एक्टिव के माध्यम से निवेशकों के पैसे वापस कर रही है. इसके माध्यम से सरकार निवेशकों के करोड़ों रुपये वापस करेगी. वर्तमान में सरकार के द्वारा सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Sahara Credit Cooperative Society Ltd.), सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड (Saharayan Universal Multipurpose Society Ltd.), हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Humara India Credit Cooperative Society Ltd.) और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Stars Multipurpose Cooperative Society Ltd) के निवेशकों के पैसे पोर्टल के माध्यम से रिफंड किये जा रहे हैं.

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Author: Firenib

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