पणजी, : भारत में किसानों की फसल का एक बड़ा दुश्मन है नेमाटोड्स – ये सूक्ष्म कीड़े जड़ों पर हमला कर पैदावार घटा देते हैं। हर साल देश को इससे ₹25,000 करोड़ का नुकसान होता है। इस समस्या को हल करने के लिए सिंजेंटा इंडिया ने गोवा में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें देशभर से 100 से अधिक कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए।
बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि फसल सुरक्षा के लिए नेमाटोड्स पर नियंत्रण जरूरी है। उन्होंने फसल चक्र (crop rotation), नेमाटोड-रोधी बीजों और जैविक नियंत्रण जैसे उपायों पर जोर दिया, ताकि किसानों को कम रसायनों का उपयोग करके बेहतर उत्पादन मिल सके।
साझेदारी से मिलेगा समाधान: सिंजेंटा इंडिया
भारत में नेमाटोड्स से हर साल ₹25,000 करोड़ का फसल नुकसान
भारत में नेमाटोड्स, जो फसल की जड़ों पर हमला करते हैं, किसानों के लिए एक बड़ा संकट बन चुके हैं। इन सूक्ष्म कीड़ों के कारण हर साल फसलों का लगभग ₹25,000 करोड़ का नुकसान होता है। ये कीट फसलों की वृद्धि रोक देते हैं, जिससे उपज कम हो जाती है और किसानों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है। बावजूद इसके, बहुत से किसान इस खतरे से अनजान हैं और इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
सिंजेंटा इंडिया के एमडी सुशील कुमार बोले- “फसल सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक शोध और साझेदारी जरूरी”
सिंजेंटा इंडिया के कंट्री हेड और एमडी सुशील कुमार ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि फसल सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक शोध और साझेदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि सिंजेंटा नई तकनीकों और उन्नत समाधानों पर लगातार काम कर रहा है, ताकि किसान कम लागत में अपनी उपज बढ़ा सकें। उन्होंने कहा, “कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और उद्योग को साथ मिलकर काम करना होगा।”
गोवा में 100 वैज्ञानिकों की बड़ी बैठक, नेमाटोड्स से निपटने के उपायों पर चर्चा
गोवा में सिंजेंटा आरएंडटी (रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी) सेंटर में 100 से अधिक कृषि वैज्ञानिकों ने एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लिया। इस बैठक का उद्देश्य नेमाटोड्स से बचाव के लिए नई तकनीकों, जैविक नियंत्रण और वैज्ञानिक उपायों पर चर्चा करना था। विशेषज्ञों ने फसल चक्र (crop rotation), रोग-प्रतिरोधी बीजों और जैविक नियंत्रण तकनीकों को बढ़ावा देने की बात कही, ताकि किसानों को बेहतर समाधान मिल सके और वे इस छिपे हुए खतरे से बच सकें।
सिंजेंटा इंडिया के क्रॉप प्रोटेक्शन आरएंडडी हेड विनोद शिवरैन ने बताया कि,
“भारत में नेमाटोड्स से फसल का 19.6% तक नुकसान होता है, लेकिन किसानों को इसकी जानकारी बहुत कम होती है। यह जरूरी है कि हम सब मिलकर इस समस्या से निपटें और उन्हें सही समाधान दें।”
वैज्ञानिकों की राय: नेमाटोड्स एक ‘छुपा हुआ खतरा’
आईएआरआई, नई दिल्ली के प्रमुख नेमाटोलॉजिस्ट डॉ. पंकज सिंह ने कहा,
“नेमाटोड्स का असर धीरे-धीरे दिखता है और जब तक किसान को नुकसान दिखता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए हमें किसानों को जागरूक करना होगा, ताकि वे पहले से ही बचाव के उपाय अपना सकें।”
आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश के कुलपति डॉ. आर. सरदा जयलक्ष्मी देवी ने कहा,
“नेमाटोड्स खासतौर पर जड़, राइजोम, कंद और बल्ब पर हमला करते हैं। चावल की फसल में ‘रूट-नॉट नेमाटोड’ का खतरा बढ़ रहा है, जिससे निपटने के लिए हमें मजबूत अनुसंधान और नए नेमाटोसाइड्स की जरूरत है।”
सिंजेंटा का इनोवेशन फोकस
सुशील कुमार ने बताया कि,
“हम अपनी टर्नओवर का 10% आरएंडडी में लगाते हैं, जो कि उद्योग में सबसे ज्यादा है। हम हर साल 100,000 से ज्यादा नए यौगिकों और हजारों नई बीज किस्मों पर रिसर्च करते हैं, ताकि किसानों को सुरक्षित और टिकाऊ समाधान मिल सके।”
सिंजेंटा के बारे में
सिंजेंटा दुनिया की प्रमुख कृषि कंपनियों में से एक है। हम उन्नत विज्ञान और इनोवेटिव खेती समाधान के जरिए कृषि को अधिक टिकाऊ, सुरक्षित और उत्पादक बनाने के लिए काम कर रहे हैं। 100 से अधिक देशों में, हम खेती की पद्धतियों को बदलने और किसानों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत हैं।
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