पद्म विभूषण रतन टाटा के देहांत की खबर सामने आने के बाद हर दूसरा व्यक्ति काफी ज्यादा परेशान दिख रहा है। इस खबर के बाद में पूरे देशभर में शोक की लहर छा गयी है। इसके बाद में विभूषण रतन टाटा का पूरा जीवन लोगों के लिए प्रेरणा रहा है। करोड़ों की संपत्ति के मालिक होने के बाद भी वह हमेशा से सादगी भरा जीवन जीते आ रहे है। उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसे में काम भी किए है जिनकी वजह से उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वह एक दयालु और सरल स्वभाव के व्यक्ति है हालाँकि उन्होंने अपने सारा जीवन अकेले ही व्यतीत किया है उन्होंने शादी नहीं की और जीवनभर कुंवारे ही रहे है।
हालांकि, उन्हें चार बार प्यार जरूर हुआ था। उनका एक रिश्ता तो लगभग शादी तक पहुंच गया था, लेकिन अचानक शादी होते-होते रुक गई। इस बारे में खुद पद्म विभूषण रतन टाटा ने खुलासा किया था। फेसबुक पर ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ से बात करते हुए टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन ने अपने निजी जीवन के बारे में यह हैरान करने वाला खुलासा किया था।
इस वजह से बचपन में ही माता पिता से हुए दूर
उन्होंने बताया कि उनका बचपन काफी ज्यादा खुशहाल रहा था, लेकिन जैसे जैसे वह और उनके भाई बड़े होते गए,उन्हें अपने माता पिता के तलाक के कारण व्यक्तिगत परेशानी का सामना करना पड़ा, जो उन दिनों आज की तरह आम नहीं था। बता दें कि जब रतन टाटा छोटे थे, तभी उनके उनके उनके माता-पिता, नवल टाटा और सूनी एक-दूसरे अलग हो गए थे और इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई ने किया था। वही एक बार उन्होंने अपनी लव लाइफ के बारे में बात करते हुए बताया कि मैं एलए (लॉस एंजिल्स) में था, जहां मुझे प्यार हुआ और लगभग शादी भी हो गई थी।
दादी के लिए किया वापस लौटने का फैसला
हालांकि, इसी बीच उन्होंने अस्थायी तौर पर वापस भारत जाने का फैसला किया था, क्योंकि वह अपनी दादी से दूर थे, जिनकी तबीयत लगभग 7 साल से ठीक नहीं थी। इसलिए वह दादी से मिलने वापस भारत आ गए। हालांकि, इस दौरान 1962 के भारत-चीन युद्ध चल रहा है, जिसकी वजह से उनकी पार्टनर के माता-पिता को उनका भारत आना मंजूर नहीं था और बस इस वजह से रतन जी का वह रिश्ता टूट गया। रतन टाटा ने बताया कि वह चार बार शादी के करीब पहुंचे, लेकिन हर बार वह डर या किसी न किसी कारण से पीछे हट गए।
उन्होंने बताया कि अपने पिता के साथ में अक्सर मतभेद होते हुए देखा है उन्होंने बताया कि वह अमेरिका में कॉलेज जाना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने यूके में जाने में जोर दिया। मैं एक आर्टिकेक्ट बनना चाहता था, उन्होंने मुझसे इंजीनियर बनने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने हमेशा उन्हें यह सिखाया कि बोलने का साहस नरम और सम्मानजनक भी हो सकता है।







