बेंगलुरु, किसानक्राफ्ट लिमिटेड ने अपने 20 साल पूरे कर लिए हैं। 2005 में बेंगलुरु की एक छोटी गैराज से शुरू हुई यह कंपनी आज देश की सबसे बड़ी स्मॉल फार्म मशीनरी बनाने वाली कंपनी बन चुकी है। किसानक्राफ्ट ने 50 लाख से ज्यादा किसानों तक अपनी मशीनें पहुँचाई हैं और उनकी खेती को आसान, तेज़ और किफ़ायती बनाया है।
कंपनी फिलहाल 300 से ज्यादा तरह की मशीनें बनाती है, जो खेती के हर काम – जमीन की तैयारी, बुवाई, फसल की देखभाल, कटाई और कटाई के बाद की प्रक्रिया – में किसानों की मदद करती हैं। छोटे और सीमान्त किसानों के लिए ये उपकरण मजदूरों की कमी पूरी करते हैं और कम लागत में ज्यादा उत्पादन करने में मदद करते हैं।
किसानक्राफ्ट ने खेती के लिए कई नई तकनीकें भी विकसित की हैं, जैसे धान बोने की नई SDSR तकनीक, स्टबल शेवर और बैटरी से चलने वाले उपकरण। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में कंपनी का बड़ा संयंत्र स्थापित है, जो ‘मेक इन इंडिया’ के विज़न को मज़बूती देता है। 2017 में कंपनी ने बीज अनुसंधान की भी शुरुआत की, ताकि किसानों को जलवायु-लचीले और ज्यादा उत्पादन देने वाले धान और सब्जियों के बीज मिल सकें।
पिछले दो दशकों में किसानक्राफ्ट ने न केवल किसानों को मशीनें दीं बल्कि उन्हें उद्यमी भी बनाया है। इसके मेकैनिक ट्रेनिंग प्रोग्राम से गाँवों में रोजगार और सेवा केंद्र बने हैं। कई मशीनें इतनी किफ़ायती हैं कि किसान एक ही सीजन में लागत निकाल लेते हैं। साथ ही मशीनों को किराए पर देने से किसानों की आमदनी भी बढ़ी है।
कंपनी का लक्ष्य अब 50 से ज्यादा देशों में निर्यात बढ़ाने और भारत की 20 प्रमुख फसलों के लिए मशीनें विकसित करने का है। इसके साथ ही गाँव-गाँव तक मशीनें और ट्रेनिंग पहुँचाने और डिजिटल माध्यम से किसानों को सलाह व सर्विस देने की योजना भी बनाई गई है।
किसानक्राफ्ट के संस्थापक और चेयरमैन रविन्द्र अग्रवाल ने कहा, “हमने किसानों को सस्ते और अच्छे उपकरण देने का सपना देखा था। अब हम चाहते हैं कि भारत दुनिया में छोटे कृषि उपकरणों का हब बने और हर किसान की खेती आसान और लाभकारी हो।”
