पानी सिर्फ जीवन का आधार नहीं, बल्कि सभ्यता और विकास की धुरी है। दुनिया की तमाम तरक्की के बावजूद अगर किसी संसाधन को लेकर सबसे बड़ी चिंता सामने आ रही है, तो वह है—पानी। बढ़ती आबादी, तेजी से हो रहा शहरीकरण और प्रदूषण ने इस अनमोल संसाधन को संकट की कगार पर ला खड़ा किया है। एक तरफ पीने योग्य पानी की कमी बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ प्रदूषित पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। ऐसे समय में, जब वैश्विक मंचों पर जल संकट और पर्यावरण संरक्षण सबसे बड़ी बहस का मुद्दा है, दिल्ली में आयोजित Ever think about water Expo- 2025 ने यह साफ कर दिया कि तकनीक, नवाचार और सामूहिक सहयोग ही आने वाली पीढ़ियों के लिए जल-सुरक्षित भविष्य का रास्ता खोल सकते हैं।
28 से 30 अगस्त तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली के हॉल नंबर 12ए में आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन ने अपने 20वें संस्करण में एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। एक्सपो ने एक बार फिर साबित किया कि यह सिर्फ प्रदर्शनी भर नहीं, बल्कि पानी और प्रदूषित पानी प्रबंधन के क्षेत्र में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद मंच है। इस बार का आयोजन पैमाने और प्रभाव, दोनों मामलों में पहले से कहीं ज्यादा बड़ा और असरदार रहा।
तीन दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में दुनिया भर से 10 से अधिक देशों के 150 से ज्यादा प्रदर्शक शामिल हुए। इन प्रदर्शकों ने अपनी नवीनतम तकनीकों, टिकाऊ समाधानों और ऐसे नवाचारों को पेश किया, जिनकी आज जल प्रबंधन क्षेत्र को सबसे अधिक जरूरत है। आधुनिक विलवणीकरण संयंत्रों से लेकर औद्योगिक जल शोधन तकनीकों तक और प्रदूषित पानी को फिर से इस्तेमाल करने के अभिनव उपायों से लेकर स्मार्ट वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम तक—यहां सब कुछ मौजूद था।
इस एक्सपो में 7,000 से अधिक आगंतुक पहुंचे, जिनमें सरकारी अधिकारी, उद्योग जगत के नेता, सलाहकार, तकनीकी विशेषज्ञ और युवा उद्यमी शामिल थे। इतना बड़ा जमावड़ा अपने आप में यह दर्शाता है कि पानी का मुद्दा अब सिर्फ नीति या तकनीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापार, समाज और राजनीति, सभी के लिए प्राथमिकता का विषय बन चुका है।
एक्सपो का सबसे बड़ा आकर्षण रहा उसका सम्मेलन कार्यक्रम, जिसमें विचारक, नीति-निर्माता और उद्योग विशेषज्ञों ने गहन चर्चाएं कीं। इन सत्रों में पानी के दोबारा इस्तेमाल, प्रदूषित पानी के प्रबंधन, विलवणीकरण तकनीक, औद्योगिक जल समाधान और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि जल संकट से निपटने के लिए सिर्फ नई तकनीक ही काफी नहीं है, बल्कि उसके सही इस्तेमाल और नीतिगत सहयोग की भी उतनी ही जरूरत है।
इस बार का आयोजन युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए भी खास रहा। एक्सपो में उभरते हुए उद्यमियों और नवोन्मेषी स्टार्टअप्स को मंच दिया गया, जहां उन्होंने अपनी तकनीकों और विचारों को बड़े उद्योगों और निवेशकों के सामने प्रस्तुत किया। यह पहल इस मायने में अहम रही कि इससे न सिर्फ नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिला, बल्कि जल क्षेत्र में उद्यमिता और रोजगार सृजन की भी संभावनाएं बढ़ीं।
लाइव डेमो और टेक्नोलॉजी शोकेस ने इस आयोजन को और भी जीवंत बना दिया। आगंतुकों ने न केवल नई मशीनों और तकनीकों को देखा, बल्कि उन्हें प्रत्यक्ष रूप से काम करते हुए भी समझा। इस तरह के प्रदर्शन खरीदारों और उद्योग विशेषज्ञों के लिए बेहद उपयोगी रहे, क्योंकि इससे उन्हें यह तय करने में आसानी हुई कि कौन-सा समाधान उनकी ज़रूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है।
एक्सपो के सफल समापन पर Ever think about water की संस्थापक सदस्य सुश्री शिवानी घोरावत ने कहा—“20वें संस्करण को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से हम बेहद खुश हैं। इस साल के आयोजन ने वैश्विक स्तर पर बढ़ती जल चुनौतियों से निपटने के लिए स्थायी प्रथाओं और उन्नत जल प्रौद्योगिकियों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। यह एक्सपो साझेदारी बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और जल क्षेत्र के भविष्य को आकार देने का सबसे प्रभावी मंच साबित हुआ है।”
शिवानी घोरावत की इस टिप्पणी में वही सच्चाई झलकती है, जिसे पूरी दुनिया महसूस कर रही है। पानी को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में बार-बार यह कहा जा रहा है कि आने वाले दशकों में अगर जल प्रबंधन की ठोस रणनीतियां नहीं बनीं, तो दुनिया के कई हिस्सों में भीषण जल संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में इस तरह के आयोजन न सिर्फ तकनीक को सामने लाते हैं, बल्कि वैश्विक सहयोग और सामूहिक कार्रवाई की ज़रूरत पर भी जोर देते हैं।
इस बार एक्सपो में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों, उद्योग संघों और सरकारी निकायों की भी मजबूत मौजूदगी रही। इसने यह साबित किया कि जल संकट से निपटना किसी एक देश या उद्योग का काम नहीं, बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। चाहे वह विकसित राष्ट्र हों या विकासशील देश—हर किसी को इसमें अपना योगदान देना होगा।
इस आयोजन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने पानी और प्रदूषित पानी प्रबंधन को सिर्फ तकनीकी या औद्योगिक मुद्दा न मानकर एक सामाजिक और मानवीय मुद्दा भी बताया। एक्सपो ने यह साफ कर दिया कि पानी का हर कतरा कीमती है और उसे बर्बाद करना आने वाली पीढ़ियों से उनका हक छीनने जैसा है।
आखिर में कहा जा सकता है कि एवरीथिंग अबाउट वॉटर एक्सपो 2025 ने अपनी 20वीं वर्षगांठ पर एक ऐतिहासिक संदेश दिया है। यह आयोजन सिर्फ प्रदर्शनी नहीं था, बल्कि जल संकट से समाधान की ओर बढ़ने वाली वैश्विक सोच का प्रतीक भी था। इसने हमें यह याद दिलाया कि पानी और प्रदूषित पानी प्रबंधन में नवाचार, तकनीक और सहयोग ही वह रास्ता है, जिससे हम एक टिकाऊ और जल-सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
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