भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान MiG-21 आज विदाई होने जा रही है सुबह 11 बजे चंडीगढ़ एयरपोर्ट से लड़ाकू विमान आखिरी बार उड़ान भरेगा। वही इसे खुद एयरफोर्स चीफ AP सिंह 23 स्क्वाड्रन के 6 फाइटर जेट के साथ उड़ान भरेंगे और इस फ्लाई पास्ट में स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी हिस्सा लेगी। इसके साथ ही वायुसेना में MiG – 21 की सेवांए खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही विमान की जगह तेजस LCA मार्क 1A लेगा। MiG-21 के विदाई समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, CDS अनिल चौहान समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल होने जा रहे है।
MiG-21 कब बना भारतीय वायुसेना का हिस्सा?
आपको बता दे, लड़ाकू विमान MiG-21 भारतीय वायुसेना की ‘रीढ़ की हड्डी’ कहलाता है। यह भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट है जिसे भारत में तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनें लेकर के आए थे। 1961 में रूस और भारत के बीच MiG-21 सीरीज के विमानों को लेकर डील हुई थी। 1962 में एयरफोर्स में विमानों की 2 स्क्वाड्रन शामिल हुईं। इसके बाद में अप्रैल 1963 में पहली बार इंडियन एयरफोर्स में विमान को कमीशन किया गया। 1967 से MiG-21 को भारत में ही असेम्बल किया जा रहा था भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को यह जिम्मेदारी मिली हुई थी। वही 1980 तक भारत ने 872 MiG-21 लड़ाकू विमान खरीदे, जिनमें से करीब 400 हादसे का शिकार हुए। हादसों की वजह से इन विमानों को अब कम उपयोग होने लगा है।
1965 की जंग से ऑपरेशन सिंदूर तक दी सेवाएँ
बता दें कि MiG-21 फाइटर जेट ने 1965 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर तक में सेवाएं दी है। इस फाइटर जेट ने पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान को ढेर किया था। पहले फाइटर जेट को ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन का विनाश करने के लिए इस्तेमाल किया गया, लेकिन बाद में जमीनी हमले के लिए इस्तेमाल किया गया। यह विमान ध्वनि की स्पीड से भी ज्यादा तेज गति से उड़ सकता है। इसकी रफ्तार मैक-2 की स्पीड तक पहुंच जाती है। इसलिए यह कुछ सेकंड में ऊंचाई पर पहुंचने में सक्षम है।
ऑपरेशन सिन्दूर में दिखा MiG-21 का जलवा
आपको बता दे, 1999 की कारगिल युद्ध के दौरान रात में उड़ान भरकर कारगिल की पहाड़ियों में बने दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में MiG-21 ने महत्वपूर्ण किरदार निभाया। इसके बाद जब 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक करते समय ग्रुप कैप्टन अभिनन्दन वर्धमान ने मिग-21 बायसन से उड़ान भरी थी और पाकिस्तान के लड़ाकू विमान F-16 विमान को ढेर किया था। इसके साथ ही साल 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी मिग-21 में उड़ान भरकर पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने ध्वस्त किए गए थे।
MiG-21 को क्यों कहा जाता है उड़ता ताबूत
62 साल में 400 से ज्यादा लड़ाकू विमान हादसे का शिकार हुए, जिसमें 200 से ज्यादा पायलट शहीद हुए। इसलिए MiG-21 लड़ाकू विमान को ‘उड़ता ताबूत’ और ‘विडो मेकर’ कहा जाता है। यह विमान करीब 60 साल पुराना हो चुका है तो इसकी टेक्नोलॉजी भी पुरानी हो चुकी है, जिस वजह से इसके कलपुर्जे बूढ़े हो गए हैं, जिनका रख-रखाव करना अब मुश्किल था।







