नवरात्रि के दौरान घर पर दुर्गा पूजा के समय ज्वारे बोने की पारंपरिक प्रथा है। इसे माँ दुर्गा के प्रसाद के रूप में बोया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक इसकी देखभाल की जाती है और इसके बाद दशमी के दिन इन्हें पूरे रीति रिवाज के साथ में विसर्जित किया जाता है। नवरात्रि में जवार को बोने से हमारे जीवन में सकारात्मकता और शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि जवारों का नवरात्रि के बाद क्या करना चाहिए और इसके क्या महत्व है?
जवारों का जीवन पर महत्व
ज्वारे बौने को नए जीवन के शुरूआत का प्रतीक है।
जवारों के हरेपन से घर में सुख-शांति, समृद्धि और प्रगति की ओर बढ़ने का संकेत देता है।
जवारों की वृद्धि को देखकर पूरे साल की किसानी और व्यक्ति के जीवन के विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नवरात्रि के बाद जवारों को मां के प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए। इससे मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि के बाद जवारों के उपाय
नवरात्रि के बाद जब जवारों सुखाकर किसी साफ कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन रखने वाली जगह पर रखें. यह करने से घर पर लक्ष्मी मां का आशीर्वाद बना रहता है ओर बरकत भी होती है।
अगर कोई व्यक्ति ये उपाय नहीं करना चाहता तो जवारों को किसी पवित्र जगह पर रख दें, जैसे पीपल के पेड़ के पास या किसी नदी-तालाब में विसर्जित कर दें। वरना घर के आंगन के गमले में दबाकर भी रख सकते हैं।
जवारों को तिजोरी में रखने के फायदे
नवरात्रि के बाद जवारों को मां दुर्गा के रूप में लिया जाता है। इसलिए इसे तिजोरी में रखने से मां लक्ष्मी का घर में वास भी होता है।
यह करने से तिजोरी में रखें धन की वृद्धि होती है और घर में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है।
इन चीजों का रखें ध्यान
जवारों के विसर्जन के वक्त स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है इसके अलावा तिजोरी में रखने के बाद उसे हर थोड़े दिन पर साफ करें
इसे किसी भी अशुद्ध जगह या नदी में न फेंके। यह करने से पाप लगता है और मां नाराज होती हैं।
