Eri Silk Cultivation : आपको बता दें हिमाचल प्रदेश में मार्श-अप्रेल से एरी रेशम की खेती शुरू होने जा रही है। प्रदेश में रेशम की खेती के लिए रेशम विभाग द्वारा सेंट्रल सिल्क बोर्ड से मंजूरी ले ली गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस रेशम की ख़ास बात यह है कि इससे साल में 7 बार फसल प्राप्त की जा सकती है। रेशम विभाग द्वारा प्रदेश में पहली बार एरी रेशम कीट का पालन किया जाएगा और विभाग द्वारा एक साल पहले बिलासपुर, ऊना और नालागढ़ में इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें विभाग द्वारा इसके लिए बिलासपुर के रांगड़ु में 25 बीघा ज़मीन पर बीज उत्पादन केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां से किसानों को बीज वितरण किया जाएगा। आपको बता दें एरी रेशम कीट का पालन अरंडी के पौधे पर किया जाता है और इसके लिए गर्म जगह उपयुक्त होती है। Eri Silk Cultivation के लिए विभाग ने जोरहाट से अरंडी के पौधे मंगवाए हैं। आमतौर पर इसका तना सफेद होता है, लेकिन इस विशेष किस्म में तना लाल है।
Eri Silk Cultivation : साल में 7 बार मिलेगी रेशम
आपको बता दें एरी रेशम को ऊन और कपास के साथ आसानी से मिक्स किया जा सकता है और जंगली प्रजाति होने की वजह से इसमें बीमारी का खतरा भी काफी कम होता है। हिमाचल प्रदेश के गर्म इलाकों में इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है। इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि इससे किसान साल में 7 बार रेशम प्राप्त कर पाएंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें इसे तैयार होने में करीब 20 से 22 दिन लगते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी अच्छी डिमांड है और इसकी खेती से किसानों के लिए आय का नया विकल्प खुलेगा।
आपको बता दें रेशम पालन से जुड़े हिमाचल प्रदेश के 10000 से ज्यादा किसानों को एरी रेशम पालन से बेहतर आय प्राप्त होगी। रेशम पालन विभाग के उपनिदेशक बलदेव चौहान ने बताया कि एरी रेशम पालन हेतु विभाग ने सेंट्रल सिल्क बोर्ड से मंजूरी ले ली है और बिलासपुर के रांगड़ु में 25 बीघा ज़मीन पर बीज उत्पादन केंद्र बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च-अप्रैल में किसानों को पौध वितरित कर खेती शुरू हो जाएगी।
