भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस यदि स्वस्थ है तो दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा और उनके मीट की ग्रोथ भी बढ़ती है। पशुपालन के दौरान बहुत सारी ऐसी वजह होती हैं जो पशुओं को बैचेन करती हैं। जिसके चलते पशु स्ट्रेस में आ जाते है। इस मौसम में स्ट्रेस की वजह भी होता है। वही सर्दी गर्मी हो या बरसात किसी भी मौसम में पशु की ठीक से देखभाल न की जाए तो पशु स्ट्रेस में आ जाता है। वही इस मौसम इंसान ही नहीं पशुओं को भी बेचेन करता है। पशु भी चढ़ते और गिरते तापमान से परेशान होते हैं। यही वजह है कि गर्मियों में गाय-भैंस और बकरियों का दूध उत्पादन कम हो जाता है। वही लू के चलने पर पशु परेशान रहते हैं। पशु के बीमार पड़ने पर खर्चा भी बढ़ जाता है। लेकिन सबसे बड़ा नुकसान दूध कम होने का होता है।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा ने एक दवाई बनाई है। इस दवाई की मदद से पशुओं का स्ट्रेस कम और खत्म हो जाता है. इस दवाई को एंटी स्ट्रेस नाम दिया गया है। यह दवाई पूरी तरह से हर्बल प्लांट्स से बनी हुई है। एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि स्ट्रेस का असर सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं गर्भवती बकरी के बच्चे और शारीरिक रूप से बढ़ते बकरे पर भी पड़ता है।
बकरे-बकरी के स्ट्रेस में होने पर करे पता
गर्भधारण और दूध देने के समय बकरी स्ट्रेस में होती है कई बार मौसम का बड़ा परिवर्तन भी बकरियों पर असर डालता है और वह स्ट्रेस में आ जाती है इस सब का पूरा असर बकरे बकरी से जुड़े उत्पादन पर पड़ता है। बकरियां स्ट्रेस में आ जाती है बकरे भी इसका शिकार होते है स्ट्रेस का पता ऐसे चलता है कि बकरे और बकरियां चारा ठीक से नहीं खाते है। वही बकरियां दूध देना कम कर देती है इसके अलावा सामान्य तरके से नहीं बढ़ जाता है बकरे और बकरियां दोनों ही सामान्य व्यवहार नहीं करते है।
CIRG ने जड़ी-बूटियों से तैयार किया है एंटी स्ट्रेसर
पशु पालन के मामले में सबसे बड़ी परेशानी उत्पादन की आती है। फिर वो चाहें दूध का हो या मीट का। बकरी के मामले में यह दोनों ही बातें फिट बैठती हैं। बकरियों में स्ट्रेस की इसी परेशानी को दूर करने के लिए हमारे संस्थान में एंटी स्ट्रेसर को बनाने का काम किया है। पिछले कई साल से इस पर काम चल रहा था। इसे CIRG के अलावा बाजार से भी खरीदा जा सकता है.