प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को को रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 126वें एपिसोड के जरिए देश को सम्बोदित किया है इस दौरान उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने, स्वदेशी उत्पादों को अपनाने,और नारी शक्ति के साथ नौसेना के पराक्रम की प्रसंशा की है।
छठ पूजा को UNESCO सूची में शामिल कराने का प्रयास
पीएम मोदी ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे है पीएम ने भारत के छठ पर्व को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा जब छठ UNESCO सूची में शामिल हो जाएगी, तो दुनिया के कोने-कोने में लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर पाएंगे।”उन्होंने कहा कि त्योहार हमारी संस्कृति को जीवित रखते हैं। छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित एक पवित्र त्योहार है, जो अब सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक त्योहार बन रहा है। पीएम ने यह भी याद दिलाया कि सरकार के ऐसे ही प्रयासों से कुछ समय पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा को भी UNESCO की सूची में जगह मिली थी।
पीएम मोदी ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी और ‘स्वदेशी’ को अपनाने का आह्वान किया। पीएम ने कहा कि लता दीदी के गीत मानवीय भावनाओं को झकझोरने वाले होते हैं। उनके देशभक्ति गीत प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बताया कि लता दीदी हर साल उन्हें राखी भेजना कभी नहीं भूलती थीं।
लता मंगेशकर का गहरा लगाव
पीएम मोदी ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी और ‘स्वदेशी’ को अपनाने का आह्वान किया। पीएम का कहना है लता मंगेशकर की गीत मानवीय भावनाओं को झकझोरने वाले होते हैं। उनके गीत देशभक्ति के प्रेरणा का सॉर्स है। उन्होंने बताया की लता मंगेशकर हर साल उन्हें राखी भेजा करती थी।
गांधी जयंती पर ‘वोकल फॉर लोकल’
पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर, गांधी जयंती का जिक्र करते हुए स्वदेशी और खादी को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद खादी का आकर्षण फीका पड़ गया था, लेकिन पिछले 11 सालों में इसकी बिक्री काफी बढ़ी है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे 2 अक्टूबर को कुछ न कुछ खादी उत्पाद खरीदें और गर्व से कहें कि ये स्वदेशी हैं। साथ ही #VocalforLocal के साथ सोशल मीडिया पर इसे शेयर भी करें।
सफलता की कहानियां सुनाईं
पीएम मोदी ने कहा, “अशोक जगदीसन और प्रेम सेल्वराज ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर घास और केले के रेशों से योगा मैट बनाए और हर्बल रंगों से कपड़ों की रंगाई की। इससे 200 परिवारों को रोजगार मिला।” उन्होंने बताया कि आशीष सत्यव्रत साहू ने आदिवासी बुनाई और वस्त्रों को ‘जोहरग्राम’ ब्रांड के जरिए वैश्विक मंच तक पहुंचाया है। मधुबनी की स्वीटी कुमारी ने मिथिला पेंटिंग को महिलाओं के लिए आजीविका का साधन बनाया है। उनके साथ 500 से अधिक ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की राह पर हैं।
