इस बार सर्दियों में हिमाचल और जम्मू-कश्मीर सहित ज्यादातर पहाड़ी इलाकों काफी देर से Snowfall हुआ है। पहाड़ी इलाकों से ज्यादा ठण्ड मैदानी इलाकों में देखने को मिल रही थी और वहां सूखा पड़ा हुआ था। लेकिन फरवरी की शुरुआत से ही पश्चिमी विक्षोभ सक्रीय होने के चलते Himachal Pradesh और Jammu-Kashmir के अधिकतर इलाकों में भारी बर्फबारी देखने को मिली। इसके चलते जनजीवन पर प्रभाव पड़ा है और यातायात, बिजली आदि सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
आज हम आपको बताएंगे Snowfall कैसे होता है और बर्फ पिघलने में कितना समय लेती है। सूरज की गर्मी से सुमुद्रों, नदियों, झीलों आदि का पानी भाप बनकर उड़ जाता है और वायुमंडल की हवा से हल्की होने के चलते यह भाप ऊपर बढ़ जाती है। आसमान में जाने के बाद ये भाप बादलों का रूप ले लेती है और जब ऊपर का तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट पर पंहुचता है, तब यह भाप बर्फ में बदल जाती है। बर्फ में बदलने के बाद यह भारी होकर नीचे गिरने लगती है और नीचे आते हुए इसका आकार घटता-बढ़ता रहता है।
पहाड़ी इलाकों में ही क्यों होता है Snowfall
क्या आपने कभी सोचा है पहाड़ी इलाकों में ही Snowfall क्यों होता है, तो बता दें इसके पीछे का कारण पहाड़ी इलाकों की समुद्र तल से ज्यादा ऊंचाई है। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में साल के ज्यादातर समय वातावरण ठंडा बना रहता है, जो बर्फबारी में अहम भूमिका निभाता है। विज्ञान के मुताबिक बर्फबारी के लिए वातावरण में नमी जरूरी होती है। बर्फ बनने के लिए वायुमंडल का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस या इससे कम होना चाहिए।
विज्ञान की भाषा में इस तापमान को हिमांक कहा जाता है और जब जमीन का तापमान हिमांक या उससे नीचे पंहुच जाता है, तो Snowfall देखने को मिलता है। कुछ परिस्थितियों में जमीन का तापमान 0 के ऊपर होने पर भी स्नोफॉल हो सकता है। ज्यादातर जमीन के पास -9 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक ठंडी हवा चलने पर भारी बर्फ़बारी होती है। लेकिन अगर हवा में नमी नहीं है, तो बहुत ज्यादा ठंड होने पर भी बर्फबारी नहीं होती।
इतने समय में पिघलती है आसमान से गिरी बर्फ
आपको बता दें धूल और दूसरे गहरे रंग के कणों की वजह से बर्फ के रंग और आकार के साथ-साथ पिघलने की रफ्तार भी प्रभावित होती है। जानकारी के मुताबिक बर्फ का रंग गहरा होने पर वह सूर्य की रोशनी को ज्यादा सोखेगी और जब सतह पर धूल की परत होती है, तो 21 से 51 दिन में बर्फ पिघल सकती है। वहीं, 2 से 4 डिग्री तापमान बढ़ने पर 5 से 18 दिन पहले भी बर्फ पिघल सकती है।
हवा के तापमान का भी बर्फ के पिघलने की गति पर असर पड़ता है और तापमान अधिक होने पर बर्फ जल्दी पिघलती है। वहीं जमीन के पास गहराई में बर्फ गर्म होती है, क्योंकि धरती के अंदर की गर्मी एक झटके में नहीं निकलती। बर्फ गिरने के बाद यह धीरे-धीरे कम होती है और बर्फ जमीन से लेकर ऊपर की ठंडी हवा तक गर्मी के प्रवाह को कम कर देती है।