नई दिल्ली, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित “विकसित कृषि संकल्प अभियान – 2025” के अंतर्गत आज दिल्ली के ग्रामीण अंचलों नांगल ठकरान एवं बाजितपुर (अलीपुर ब्लॉक) में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के अधीन कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली एवं दिल्ली सरकार के विकास विभाग की संयुक्त पहल रही, जिसका उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक खेती, नवीनतम कृषि तकनीकों एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी देना था।
कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. डी.के. राणा ने उद्घाटन सत्र में कहा, “हमारा उद्देश्य ‘लैब टू लैण्ड’ विज़न के माध्यम से अनुसंधान को खेतों तक पहुंचाना है। वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सीधा संवाद खेती की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक है।”
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रामस्वरूप बाना ने जल संरक्षण तकनीकों और कम पानी वाले क्षेत्रों में खेती के लिए संरक्षित विधियों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसान जल संकट से जूझते हुए भी बेहतर उत्पादन ले सकते हैं।
डॉ. श्रवण कुमार सिंह ने दिल्ली क्षेत्र में अनुकूल सब्जियों की किस्मों, पोषणवर्धक खेती, किचन गार्डन और संरक्षित खेती जैसे विषयों पर किसानों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीमित स्थान में भी हाईटेक नर्सरी से आय बढ़ाई जा सकती है।
वहीं, डॉ. श्रवण हलधर ने कीट प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके, जैविक नियंत्रण और कीटनाशक के विवेकपूर्ण प्रयोग की जानकारी दी। डॉ. समर पाल सिंह ने लवणीय मिट्टी और खारे पानी में उपयुक्त फसलों जैसे पालक, जौ, सरसों की खेती पर चर्चा की।
धान की सीधी बुवाई, खरपतवार प्रबंधन, पोषक तत्व संतुलन जैसे विषयों पर डॉ. नीरज ने किसानों को प्रशिक्षित किया। फूलों की खेती में ड्रेन और स्वेज जल के उपयोग की जानकारी डॉ. ऋतु जैन ने साझा की। बागवानी के क्षेत्र में डॉ. राकेश कुमार ने मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई और विदेशी सब्जियों की खेती की तकनीकों से अवगत कराया।
डिजिटल खेती पर बात करते हुए कृषि प्रसार विशेषज्ञ श्री कैलाश ने बताया कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) से जुड़कर किसान अब वैज्ञानिक जानकारी तक समय पर पहुंच सकते हैं।
कार्यक्रम में खरीफ फसलों की उन्नत किस्मों, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार खाद प्रयोग, प्राकृतिक खेती और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर भी किसानों को जानकारी दी गई। अंत में, मृदा विशेषज्ञ श्री बृजेश कुमार ने मिट्टी और जल परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए किसानों से आग्रह किया कि वे इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।
इस किसान सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने किसानों के सवालों के उत्तर दिए और उन्हें खेती से जुड़ी जमीनी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान बताए। दिल्ली के ग्रामीण किसानों के बीच यह कार्यक्रम एक सार्थक पहल साबित हुआ, जो उन्हें आत्मनिर्भर और टिकाऊ कृषि की ओर प्रेरित करेगा।
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