आज नवरात्री का छठा दिन और अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस तिथि को स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। आज सुबह 6 AM से रवि योग बना रहा है तब से माँ दुर्गा के भक्त स्कंदमाता की पूजा की जाती है स्कंदमाता को माँ दुर्गा में 5 वां स्थान हासिल है वह माँ दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है, जब उनका जन्म हुआ तो देवी पार्वती को स्कंदमाता के नाम से जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की भी पूजा होती है। जो लोग स्कंदमाता की पूजा करते हैं, उन पर मातारानी ममता और करुणा बरसाती है इसके साथ ही नवदुर्गा में स्कंदमाता सबसे ममतामयी हैं। जो व्यक्ति विधि विधान से स्कंदमाता की पूजा करता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है। जिनकी संतान हैं, वह सुखी और सुरक्षित रहती है। आज पूरे दिन प्रीति योग और अनुराधा नक्षत्र है। रवि योग 7 AM पर खत्म हुआ है। ऐसे आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, सामग्री, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती से लेकर उपाय तक जान लेते है।
इस समय नहीं करे कोई सुबह काम
यदि आज आप कोई सुबह काम करने जा रहे है तो इस राहुकाल का अवश्य ध्यान रखे। आज का राहुकाल सुबह 09:12 AM से सुबह 10:42 AM तक है। आज दोपहर में 01:42 PM से 03:12 PM तक यमराज का समय है इसमें आपको वाहन चलाते समय सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही जोखिम वाले कामो से दूर रहना चाहिए। इसके साथ पूर्व दिशा में यात्रा करना सही नहीं है।
शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:48 बजे से 12:36 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 01:26 बजे से 03:14 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:12 बजे से 03:00 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:12 बजे से 06:36 बजे तक
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:12 बजे से 07:24 बजे तक
भव्य है 5वीं नवदुर्गा का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप काफी भव्य और ममतामयी है। सिंह पर सवार होने वाली स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। वे अपनी गोद में 6 मुख वाले स्कंद कुमार को बैठाए हुई हैं। वे अपने हाथों में कमल पुष्प धारण करती हैं। एक हाथ से स्कंद कुमार को पकड़े हैं तो एक हाथ वरदमुद्रा में है।
स्कंदमाता की पूजा विधि
आज सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें। उसके बाद में माँ स्कंदमाता को गंगाजल से स्नान कराकर वस्त्र, फूल, माला, सिंदूर आदि अर्पित करें। उसके बाद लाल गुड़हल, अक्षत्, कुमकुम, धूप, दीप, गंध, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। इस बीच आपको स्कंदमाता के मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए। वही फिर माता को भोग में केला और पताशा अर्पित करें। वही गाय के घी के दीपक से स्कंदमाता की आरती करें। घी नहीं है तो तिल या सरसों का शुद्ध तेल उपयोग करें। नवरत्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो वह पाठ कर ले।
