जी हाँ आपने बिलकुल सही सुना अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी Shimla में घरों से निकलने वाले कचरे से पहले के मुकाबले अधिक बिजली पैदा की जाएगी। आपको बता दें शिमला में घर से निकलने वाले कचरे के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाता है और अब सरकार ने इसकी क्षमता बढ़ने का फैसला कर लिया है। आपको बता दें शिमला के भरयाल में कचरे से उत्पादन करने का संयंत्र लगा हुआ है, जिसकी क्षमता बढ़ाने के लिए यहां एक बायोमैथीनेशन प्लांट लगाया जाना है।
इसके लिए नगर निगम द्वारा हिमाचल सरकार को भेजे गए प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस प्लांट के निर्माण में करीब 12 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। आपको बता दें देश में ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जहां बायोमैथीनेशन प्लांट में मीथेन गैस तैयार की जाएगी और फिर इससे कचरे से बिजली बनाने की क्षमता बढ़ाई जाएगी। महापौर सुरेंद्र चौहान द्वारा 15 फरवरी को पेश किए गए निगम के बजट में भी इसकी घोषणा की गई थी।
Shimla से हर रोज़ निकलता है इतना कचरा
नगर निगम Shimla के मुताबिक शहर से हर रोज़ करीब 80 से लेकर 90 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इस कचरे को भरयाल में मैसर्ज एलीफेंट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा स्थपित किए गए कूड़ा संयंत्र में भेजा जाता है, जहाँ इस कचरे से बिजली तैयार की जाती है। हालांकि, फ़िलहाल कचरे से बिजली का उत्पादन बहुत ही कम है जिसके चलते संयंत्र का वेस्ट यानि आरडीएफ सीमेंट कंपनियों को देना पड़ता है।
बिजली बनाने की क्षमता में ऐसे होगी वृद्धि
निगम द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि गीला और सूखा कचरा अलग न होने के कारण सयंत्र में बिजली पैदा नहीं हो हो पा रही है। वहीं प्लास्टिक की कमी के चलते मीथेन गैस का उत्पादन कम हो रहा, इस समस्या को ख़तम करने के लिए अब बायोमैथीनेशन प्लांट के माध्यम से पहले गीले कचरे से मीथैन गैस तैयार की जाएगी। इसके बाद गैस को सिन गैस में ब्लैंड करके कूड़ा संयंत्र में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे संयंत्र की कचरे से बिजली बनाने की क्षमता में वृद्धि होगी।
