सावन सोमवार शिव आराधना करने का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव को समर्पित सावन का प्रिय महीना चल रहा है। 5 अगस्त 2024 के दिन सावन का तीसरा सोमवार पड़ रहा है। सावन में सोमवार का व्रत करने से जातकों की सभी मनोकामनाएँ और इच्छाएँ पूर्ण होती है इस साल सावन का महीना 19 अगस्त तक चलने वाला है ऐसे में आइए जान लेते है सावन के तीसरे सोमवार के दिन पूजा का मुहूर्त, विधि, उपाय और रुद्राभिषेक विधि।
सावन सोमवार पूजा-विधि
सोमवार के दिन सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर लेवे। इसके बाद में शिव परिवार समेत सभी देवी देवताओं विधि के साथ में पूजा करे। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर के व्रत करने का संकल्प लेवे। घर के मंदिर में दीपक जलाएँ। सावन सोमवार व्रत की कथा सुने और और श्रद्धा के साथ में आरती करते हुए ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करे। और अंत में क्षमा प्रार्थना भी करे।
मंत्र- ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
भोग – मखाना, दूध की बर्फी, बेर का फल, मिश्री, सफेद मिठाई, बादाम/मखाने की खीर, पंचामृत
पूजा सामग्री – घी, दही, सफेद या पीले फूल, फल, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद, गंगाजल, सफेद चंदन, काला तिल, कच्चा दूध, हरी मूंग दाल, शमी का पत्ता, मिट्टी के शिवलिंग या शिव प्रतिमा, गन्ने का रस, शिव कथा की किताब आदि।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पहला मुहूर्त- 04:20 AM से 05:03 AM
दूसरा मुहूर्त- 12:00 PM से 12:54 PM
तीसरा मुहूर्त- 01:38 PM से 03:21 PM
गोधूलि मुहूर्त- 07:09 PM से 07:30 PM
सोमवार रुद्राभिषेक-विधि
सबसे पहले स्नान आदि करके गणेश जी का ध्यान करे। इसके बाद में भगवान शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का ध्यान करे। मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और उत्तर की दिशा में स्थापित करें। वही अपना मुंह पूर्व दिशा की तरफ रखे। इसके बाद गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस विधि की शुरुआत करें। इसके बाद गन्ने के रस, गाय के कच्चे दूध, शहद, घी और मिश्री से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद बाबा भोलेनाथ पर बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काला तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर का फूल, कलावा, फल, मिष्ठान और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद समस्त देवी देवताओं समेत पूजा करे। और आरती करे। इसे सम्पूर्ण विधि के दौरान एक्सट्रीट किया हुआ जल सभी पर छिड़के और इसे प्रसाद स्वरूप में भी ग्रहण करे। इसके प्रकार से शिव अभिषेक की विधि पूर्ण होती है।