भारत में जब कभी शिक्षा के इतिहास की चर्चा की जाए तो ब्रिटिश काल से राजकुमारों को पढ़ाने के लिए विशेष स्कूल कोलोज स्थापित किए गए है इसमें अजमेर का मेयो कॉलेज एक है। लेकिन समय के साथ साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदल गया और आज देश बड़ी संख्या में निजी और सरकारी स्कूल कॉलेज है। ऐसा ही एक स्कूल राजकुमारी के नाम पर है इसका उद्देश्य है गरीब और जरूरतमंद लड़कियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जैसलमेर जिले में थार रेगिस्तान के बीच स्थित राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की. यह कोई साधारण शिक्षण संस्थान नहीं है, बल्कि यह वास्तुकला का एक चमत्कार है। इस स्कूल की इमारत को इस तरह अंडाकार रूप में डिजाइन किया गया है कि यह जैसलमेर की 50 डिग्री तक की भीषण गर्मी में भी बिना एयर कंडीशनर के ठंडा रहता है। यह स्कूल केवल ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल निर्माण और महिला साक्षरता के क्षेत्र में एक रोल मॉडल भी बनकर उभरा है। यह स्कूल किंडरगार्टन से कक्षा 10 तक की 400 से अधिक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है।
रेगिस्तान के ‘ज्ञान केंद्र’ की पूरी कहानी
जैसलमेर के कनोई गांव के पास स्थित राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल को ‘ज्ञान केंद्र’ परिसर के तीन भवनों में से एक के रूप में बनाया गया है। यह स्कूल CITTA फाउंडेशन नामक गैर-लाभकारी संगठन की एक पहल है।
वास्तुकला का अजूबा, बिना AC रहता है ठंडा
इस स्कूल को न्यूयॉर्क की आर्किटेक्ट डायना केलॉग के द्वारा डिजाइन किया गया है। इसकी संरचना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह थार रेगिस्तान की असहनीय गर्मी से निपटने में भी मदद करता है।
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य
यह स्कूल उन ग्रामीण लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है, जहां महिला साक्षरता दर काफी कम है। इस स्कूल किंडरगार्टन से कक्षा 10 तक की करीब 400 लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देता है। यहां लड़कियों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ स्थानीय पारंपरिक कौशल जैसे बुनाई, कढ़ाई और हस्तकला का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इस स्कूल की छात्राओं की यूनिफॉर्म को मशहूर भारतीय फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है, जो इसे और भी खास बनाता है।
