बिहार चुनाव की तारीखों का एलान किया जा चुका है इससे पहले सभी पार्टियां तैयारी में जुट गयी है। भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी नियुक्त किया गया है। वही तीन सर्वे कंपनियों के एक्सपर्ट्स ने बिहार चुनाव को लेकर के अपनी राय व्यक्त की है उन्होंने बताया कि चुनाव में किसका पलड़ा अधिक भारी है वही सीवोटर फाउंडेशन के संस्थापक यशवंत देशमुख, वोटवाइब के फाउंडर पार्टनर अमिताभ तिवारी और एक्सिस माई इंडिया के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता ने चुनावी विश्लेषण किया है।
यशवंत देशमुख का कहना है ”उत्तर प्रदेश में मुस्लीम-यादव समीकरण वैसा ही है, जैसे आरजेडी बिहार में है, लेकिन अखिलेश यादव ने पीडीए प्लस का प्रयोग किया और वे सफल भी रहे। वही यह देखना होगा कि बिहार में तेजस्वी यह प्रयोग कितना कर पाते हैं या नहीं। इसके साथ ही नीतीश कुमार के बिना कोई बिहार क्यों नहीं जीत सका? क्यों कि उनका अपना वोट बैंक है।
तेजस्वी और प्रशांत किशोर में बंट रहे युवा वोटर
अमिताभ तिवारी ने कहा, ”यह ट्रिकी राज्य है। यहां कई छोटी पार्टियां भी अपना वोटबैंक बना रखी है यहाँ पर न सिर्फ तीन बड़ी पार्टियां ही नहीं हैं, चुनाव तारीखों का ऐलान अभी तक नहीं हुआ है। इसके साथ ही पिछले तीन चुनावों में 105 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।” उन्होंने कहा, ”युवा एनडीए का साथ छोड़कर तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर के बीच बंटता दिख रहा है। वही प्रशांत शिक्षा को मुद्दा बनाकर तेजस्वी के मुकाबले युवा वोटरों के बीच बढ़त हासिल कर सकते हैं।
बिहार चुनाव पर क्या बोले प्रदीप गुप्ता
प्रदीप गुप्ता ने बिहार चुनाव को लेकर के कहा है कि चुनाव के नतीजे का अनुमान लगाया जा सकता है ऐसे में बिहार के वोटरों को भी नहीं पता कि उन्हें किसे वोट देना है हमने 2024 में एनडीए की जीत का अनुमान लगाया था। उन्होंने जाति और महिला फेक्टर पर सवाल पैदा किया है यहाँ जाति जाति बहुत प्रासंगिक है। बिहार के सभी छह रीजन में मुस्लिम-यादव 27 प्रतिशत के आसपास हैं। वही यह वोटबैंक आरजेडी के पक्ष में एकजुट रहा है।







