मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बुधवार को एक बड़ा ऐलान किया। सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में समुद्री खाद्य निर्यात को 60,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये तक ले जाया जाए। यह घोषणा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर की गई, जहां मंत्री ने अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र की नींव को और मजबूत करने की योजनाओं पर जोर दिया।
कार्यक्रम में, राजीव रंजन सिंह ने PMMSY योजना का शुभारंभ किया और उत्पादन और प्रसंस्करण क्लस्टरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, जो मत्स्य क्षेत्र पहले उपेक्षित था, उसने अब तेज़ी से विकास किया है और यह 3 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार है। 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना ने मछली उत्पादन को 2013-14 में 95.79 लाख टन से बढ़ाकर 2023-24 में 175.45 लाख टन तक पहुंचाया है।
मत्स्य पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने बुधवार को दिल्ली में इस योजना की चौथी वर्षगांठ मनाई। यह कार्यक्रम भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्रों में समग्र और समावेशी विकास की दिशा में बड़ी उपलब्धियों को चिह्नित करता है। कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य पालन विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान, सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (IF), ने योजना की उपलब्धियों को उजागर किया और मत्स्य पालन क्षेत्र में कई नई पहलों की शुरुआत की। उन्होंने राष्ट्रीय मत्स्य विकास कार्यक्रम (NFDP) पोर्टल का शुभारंभ किया, जो मत्स्य पालन से जुड़े सभी हितधारकों के लिए डिजिटल हब के रूप में काम करेगा। इस पोर्टल के माध्यम से हितधारक डिजिटल पहचान प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उन्हें संस्थागत ऋण, प्रदर्शन अनुदान और जलीय बीमा जैसी सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
राजीव रंजन सिंह ने कई राज्यों के लाभार्थियों को पंजीकरण प्रमाणपत्र भी प्रदान किए और SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की। इसके अलावा, मछली पालन और प्रसंस्करण के लिए तीन विशेष क्लस्टरों की स्थापना की घोषणा की गई, जिनमें मोती पालन, सजावटी मछली पालन, और समुद्री शैवाल की खेती शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगस्त 2024 में महाराष्ट्र के पालघर में लॉन्च किए गए ‘वेसल कम्युनिकेशन और सपोर्ट सिस्टम’ का जिक्र करते हुए मंत्री ने बताया कि इसमें 1 लाख ट्रांसपोंडर मछली पकड़ने वाली नावों पर लगाए जाएंगे, जिससे मछुआरों को सुरक्षित और प्रभावी कामकाज में मदद मिलेगी।
इस मौके पर 100 तटीय गांवों को जलवायु-लचीला मछुआरा गांव बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की योजना भी प्रस्तुत की गई।