आज जब कृषि जलवायु परिवर्तन, गिरती उर्वरता और सिंचाई की कमी जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, वही तब खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाना एक वैश्विक प्राथमिकता बन गई है। इसके साथ ही स्थायी उत्पादकता वाले तरीकों को अपनाना ही खेती को बचाने का एकमात्र मार्ग है। इसके लिए खेती, पौधे और बीज स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टिकोण और नवाचार को शामिल करना जरूरी है। और पारंपरिक और जैविक कृषि तकनीकों में कृषि को अधिक स्थिरता, लचीलापन और किसानों की आर्थिक स्थिति को बदलने की अपार क्षमता है।
नवाचार को बढ़ावा देकर, नियमों को सुव्यवस्थित करके, निवेश को आकर्षित करके और प्रभावी नेतृत्व को प्रोत्साहित करके, कृषि समुदाय बढ़ती वैश्विक आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की रक्षा कर सकता है। इसी उद्देश्य को लेकर, नई दिल्ली में 23-24 अप्रैल 2025 को छठे बायोएगटेक वर्ल्ड कांग्रेस 2025 का आयोजन किया गया. ग्लोबल बायोएग लिंकेजेस (जीबीएल) द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), आईसीआरआईएसएटी और कई वैश्विक भागीदारों के सक्रिय सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में वैश्विक खाद्य सुरक्षा और बदलते जलवायु परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से पर्यावरण और स्वस्थ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसे अहम विषयों पर गहन चर्चा हुई।
खेती में दुनिया के देशों की सहभागिता की जरूरत
भारत की कृषि अनुसंधान प्रगति, नियामक विकास और सतत खेती में वैश्विक सहभागिता पर विस्तार से चर्चा हुई. इस सत्र के दौरान, डॉ. कार्लोस गुलार्ट ने ब्राजील के बायोइनपुट्स कानून के अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला. डॉ. ए.के. सक्सेना ने भारत के बायोस्टिमुलेंट नियमों और कारेल बोल्कमंस ने यूरोपीय संघ के नियामक ढांचे पर अपने विचार साझा किए. दूसरे सत्र में डॉ. विश्वनाथन, रयान बॉन्ड, डॉ. टी. दामोदरन और ग्यूसेप्पे नाताले ने अनुसंधान को व्यावसायिक समाधानों में परिवर्तित करने की प्रभावी रणनीतियों पर अपने अनुभव साझा किए।
