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Pharma News: मोदी जी के सपने को तोड़ रहा NPPA! जानियें फार्मा कम्पनियों का गोलमाल! कैसे डाल रही आपकी जेबों पर डाका ?

कुछ दवा कम्पनी इन दवाओं के फार्मुलेशन में जानबूझ कर मामूली बदलाव करती है और दवा के मूल्य को 3 से 4 गुना तक बढ़ा देती है. ऐसी कई दवाइयां बाज़ार में बेचीं जा रही है जिसके लिए आम जनता जागरूक नहीं है. दवा कम्पनी के इस कदम से लोगों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है.
Pharma News: मोदी जी के सपने को तोड़ रहा NPPA! जानियें फार्मा कम्पनियों का गोलमाल!
Pharma News:Pharma News: NPPA is breaking the dream of Modi ji! Know the breakup of Pharma companies!

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Pharma News: देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि देश के हर नागरिक को सस्ती और उच्च स्तर की दवाएं मिले, और इस सपनें को साकार करने के लिए देश भर में जन औषधि केंद्र भी खोले गए है. परन्तु दवाइयां बनाने वाली कुछ फार्मा कंपनियों ने लालच के चलते PM Modi के इस सपने को तोड़ रहें है, और राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) इस पुरे मामलें में तमाशबीन बना हुआ है. फार्मा कंपनियां जनता को गुमराह कर सस्ती दवाओं में छोटे-मोटे बदलाव कर उन्ही दवाओं को महंगे दाम पर बेच रही है. जोकि पूरी तरह राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के नियमों से खिलवाड़ है. जिसका सीधा असर देश की गरीब और माध्यम वर्गीय जनता की जेब पर पड़ रहा है.


NPPA के नियमों की अवहेलना


आपकों बता दें कि मंहगाई के इस दौर में लोगों को महंगी दवाइयां न खरीदनी पड़ें इसलिए देश का राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण प्रत्येक दवाओं का मूल्य तय करता है. जिसके मूल्य के साथ उसका फार्मूलेशन भी लिखा होता है. इन दवाओं को NPPA द्वारा निर्धारित मूल्यों पर ही बेचा जाना अनिवार्य है. परन्तु कुछ दवा कम्पनी इन दवाओं के फार्मुलेशन में जानबूझ कर मामूली बदलाव करती है और दवा के मूल्य को 3 से 4 गुना तक बढ़ा देती है. ऐसी कई दवाइयां बाज़ार में बेचीं जा रही है जिसके लिए आम जनता जागरूक नहीं है. दवा कम्पनी के इस कदम से लोगों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है.

अमॉक्सिसिलिन(Amoxicillin) बनाने में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया से गोलमाल

गौर हो कि राष्ट्रीय औषधी मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के द्वारा 6 जनवरी 2023 को दवाओं के नए मूल्य जारी किये गये थे, जिसमें अमॉक्सिसिलिन + क्लावुलैनिक एसिड टैबलेट 500 मिलीग्राम + 125 मिलीग्राम (Amoxicillin A +Clavulanic acid B Tablet 500 mg A + 125 mg B) की एक टैबलेट का मूल्य 20.48 तक तय किया गया था. परन्तु हिमाचल और उत्कुतराखंड में कुछ फार्मा मेन्युफेक्चरर इस दवा के फॉर्म्यूलेशन में लैक्टिक एसिड बेसिलस (lactic acid bacillus) मिला कर इस एक गोली का मूल्य 20.48 से बढाकर 40.00 या 50.00 रुपए कर दिया जाता है. इतना ही नहीं कई फार्मा कम्पनियां इस दवा को इससे भी अधिक दामों पर बेच रहीं है। जबकि इस लैक्टिक एसिड बेसिलस (lactic acid bacillu) की कीमत प्रति गोली मात्र 3 पैसे ही है.


सेफिक्सिम (Cefixime Tablet 200mg) में भी यही गोलमाल


ठीक उसी तरह राष्ट्रीय औषधी मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के अनुसार सेफिक्सिम Cefixime Tablet 200mg का मूल्य मात्र 9.77 87 (ई) निर्धारित किया गया है, NPPA के अनुसार इस गोली का MRP 10.942 होना चाहिए, लेकिन इसमें भी कम्पनियां लैक्टिक एसिड बेसिलस (lactic acid bacillus) डालकर इस एक गोली मूल्य भी 17.00 से 30.00 रुपए तक बढ़ा दिया है. जिससे दवाओं का MRP नियमों के विपरीत तैयार किया जा रहा है.


किस आधार पर बढ़ाये जा रहें दाम?

दवा विनिर्माण इकाइयों को यह जस्टिफाई करना चाहिए कि वे कैसे और किस आधार पर 3 पैसे के लैक्टिक एसिड बेसिलस (lactic acid bacillus) को सेफिक्सिम (Cefixime) व अमॉक्सिसिलिन(Amoxicillin) दवा के फोर्मुलेशन में डालकर दवा का मूल्य दो से चार गुना तक कैसे बढ़ा सकते हैं। जहाँ लैक्टिक एसिड बेसिलस (lactic acid bacillus) की एक गोली में इस्तेमाल का खर्च मात्र 3 पैसे ही है. उद्योगों की ये मनमानी सीधे तौर पर उपभोक्ता पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है. इससे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का जनता को सस्ती दवाइयां मुहैया करवानें का सपना भी टूटता नज़र आ रहा है. दवाओं के फर्म्युलेशन में बदलाव कर दाम बढ़ाने के इस गड़बड़-झाले में हिमाचल और उत्तराखंड की दर्जन भर फार्मा उद्योग शामिल है. जोकि लगातार इस काम को कर रही है और इन पर NPPA का कोई शिकंजा नहीं है.

अन्य फार्मा उद्योगों का टूट रहा मनोबल


वही दूसरी तरफ जो फार्मा उद्योग इमानदारी से काम कर रहें है, और लोगों को सस्ती दवाओं को उपलब्ध करवानें के लिए राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के नियमों का पालन कर रहें है. ऐसे उद्योगों का भी मनोबल इस गोलमाल के चलते गिरता नज़र आ रहा है. नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योगों ने बताया कि फार्मुलेशन के साथ छेड़छाड़ कर दवा को महंगा कर देना बहुत ही आसान और साधारण सा तरीका है. जिस पर अधिकांश सरकारी महकमों और NPPA का ध्यान ही नहीं जाता है. और आम जन भी इस बदलाव से अनजान ही रहते है. जिससे कुछ उद्योगों की मनमानी बेरोकटोक चल रही है.

NPPA से शख्त करवाई की मांग


आपकों बता दें कि राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) का गठन 29 अगस्त, 1997 को किया गया था. जिसकी जिम्मेदारी देश में बिकने वाली दवाओं के मूल्य निर्धारण करना है, साथ ही सुनिश्चित करना है कि देश की जनता को सस्ती कीमतों पर दवाएं उपलब्धता करवाई जायें. ऐसे में लोगों की मांग है कि नियमों की अवहेलना करने वालें दवा उद्योगों पर NPPA द्वारा शख्त कार्रवाई अमल में लाई जायें. NPPA को फार्मा कंपनियों द्वारा आमजन को दिए जा रहें इस धोखे से रोका जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों का पालन करने के लिए जरूरी है कि ऐसी फार्मा मेन्युफेक्चेरर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और असंवेदनशीलता करने वाली कंपनियों पर सख्त एक्शन लिया जाएँ. साथ ही ऐसे लाइसेंस होल्डरों को स्पष्ट और उचित व्याख्या लेनी चाहिए कि वे मूल्य निर्धारण अधिकार के तहत उत्पादों की मूल्यों में असंवेदनशीलता नहीं कर सकते। इससे जनता को असली मूल्यों पर उत्पाद उपलब्ध हो सकते हैं और उन्हें उचित मूल्य पर उत्पादों की सुविधा मिल सकती है। इतना ही नहीं इस विषय पर लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। वे अपनी संभावित खरीद की पहले उत्पादों की कीमतों और मूल्य निर्धारण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, ताकि वे फार्मा कंपनियों द्वारा की जा रहें इस गड़बड़ी से बच सकें.


क्या कहते है ड्रग कंट्रोलर?
इस बारें में हिमाचल प्रदेश ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह का बताया कि दवा में लैक्टिक एसिड बैकटीरिया आवश्यक होगा तो ही ऐड किया जाता है. ये फोर्मुलेशन अप्रुव है, इसमें मूल्य को लेकर कोई भी बदलाव NPPA के द्वारा ही सुनिश्चित किया जा सकता है.


क्या कहते है NPPA के अधिकारी?
इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण के मेम्बर सेक्टरी डॉ विनोद कोतवाल ने बताया कि इस मामलें पर नियमों के तहत उचित संज्ञान लिया जायेगा

Firenib
Author: Firenib

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