Himachal News: आईआईटी व टिफिर में चयन के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स बंगलोर में इंटेग्रेटेड पीएचडी हेतु जनरल कैटिगरी में देश भर के मात्र 9 छात्रों में अभय भारद्वाज का भी हुआ चयन।प्रवेश परीक्षा की मेरिट सूची के आधार पर 29 मई से पहली जून तक संस्थान में चली लंबी इंटरव्यू प्रक्रिया का दो दिन पहले ही आया फ़ाइनल परिणाम.यदि रिसर्च के लिए देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों की बात करें तो हर बच्चे का सपना होता है
कि उसको टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च बॉम्बे, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स बंगलोर या फिर देश की टॉप-तीन आईआईटी में से किसी एक में पढ़ने व रिसर्च करने का अवसर मिले।
टिफिर बॉम्बे के लिए देश भर से मात्र 15 बच्चों का चयन हुआ है
वहीं हिमाचल प्रदेश के जोगिन्दर नगर निवासी अभय भारद्वाज ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश तो क्या पूरे देश के किसी बच्चे ने शायद ही कभी ऐसा कमाल दिखाया हो। अभय भारद्वाज ने घर बैठे ही बिना कोचिंग, बिना ट्यूशन के तैयारी करते हुए तीनों प्रतिष्ठित संस्थानों की टॉप रैंकिंग में स्थान बनाते हुए एक नया इतिहास रचा है। टिफिर बॉम्बे के लिए देश भर से मात्र 15 बच्चों का चयन हुआ है, जिसमें उतरी भारत से अभय भारद्वाज अकेले छात्र हैं। दूसरी तरफ आई॰आई.टी. जैम में टॉप 20 में स्थान बनाते हुए वे अपनी मनपसंद की किसी भी आई.आई.टी. में प्रवेश के लिए पात्र हो गए। लेकिन अभय भारद्वाज ने एक बड़ा कमाल यह किया है कि प्रवेश परीक्षा को पहले ही आला दर्जे से पास करने के बाद उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स बंगलोर से भी इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर आया था तथा बंगलोर स्थित इस संस्थान में 4 दिन तक प्रतियोगी छात्रों की इंटरव्यू प्रक्रिया चली और इसके बाद जनरल कैटिगरी में देश भर के जिन 9 ही छात्रों का चयन इस संस्थान से रिसर्च करने के लिए हुआ है, उनमें हिमाचल प्रदेश के अभय भारद्वाज भी हैं।
लंबी इंटरव्यू प्रक्रिया के बाद अभय का चयन इन सभी प्रतिष्ठित संस्थानों में हुआ है
विलक्षण प्रतिभा के धनी प्रदेश के इस होनहार बच्चे ने अपनी प्रतिभा से पूरे हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।अभय की इस उपलब्धि पर न केवल उनके माता-पिता, मंडी जिला की जनता, बल्कि समस्त हिमाचल वासियों को नाज़ है। अभय भारद्वाज अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। अभय के पिता कुशाल भारद्वाज एक प्रतिष्ठित मजदूर-किसान नेता के साथ –साथ असली जनसेवक के रूप में जाने जाते हैं, जो भराड़ू जिला परिषद वार्ड के निर्वाचित सदस्य हैं तथा माता विधु भारद्वाज सरकारी कॉलेज में अँग्रेजी विषय की प्रोफेसर हैं। अभय के माता-पिता ने बताया कि अभय ने इसी वर्ष तीनों परीक्षाएँ दी थी। माँ-बाप के लिए इस से गर्व की बात क्या हो सकती है कि कड़ी परीक्षाओं एवं लंबी इंटरव्यू प्रक्रिया के बाद अभय का चयन इन सभी प्रतिष्ठित संस्थानों में हुआ है।अभय की पढ़ाई किसी एक स्कूल से नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग स्कूलों से हुई तथा हर स्कूल में नर्सरी कक्षा से 10+2 तक वह आला दर्जे से पास होता रहा है। अभय फिजिक्स में आगे पढ़ना चाहता था तथा 10+2 के बाद उन्होंने कई विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षाओं को पास कर अथवा 10+2 में प्राप्त अंकों के आधार पर B.Sc Physics (Hons) में प्रवेश पाने की पात्रता हासिल की। हालांकि B.Sc Physics (Hons) की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक किरोड़ीमल कॉलेज से की। बताते चलें कि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी इसी कॉलेज से पढ़े हैं।
अभय भारद्वाज को 21 हजार से 35 हजार रू. मासिक फ़ेलोशिप भी मिलेगी
कॉलेज में भी अभय भारद्वाज ने बीएससी फिजिक्स ऑनर्स के एक समेस्टर के पांचों पेपर में शतप्रतिशत अंक हासिल किए तथा फ़ाइनल सेमेस्टर में भी टॉप किया। अभय की पढ़ाई का सफर अपने आप में एक प्रेरणा है, क्योंकि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी या प्रवेश परीक्षा के लिए उन्होंने कभी कोई ट्यूशन, अकेडमी या फिर कोचिंग कक्षाएं जॉइन नहीं की, बल्कि हर परीक्षा की तैयारी घर बैठे ही की तथा परीक्षा हेतु सवाल-जवाब रटने के बजाए अपने विषय से संबन्धित गूढ़ एवं सम्पूर्ण अध्ययन पर फोकस किया। अभय को मुंबई आईआईटी से मेल व मैसेज के साथ-साथ फोन भी आ चुका है कि इस संस्थान में एड्मिशन लेने के लिए अप्लाई कर दो। लेकिन अभय ने तय किया है कि वे इंटेग्रेटेड पीएचडी मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से ही करेंगे जहां अभय का चयन अटॉमिक व न्यूक्लीयर फ़िज़िक्स में रिसर्च के लिए हुआ है। बंचपन से ही अभय वैज्ञानिक या फिर फ़िज़िक्स का प्रोफेसर बनना चाहता था और अब उसका यह सपना लगभग पूरा होने जा रहा है।अपने शानदार अकैडमिक रिकॉर्ड के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी अभय भारद्वाज को 80 हजार रूपये सालाना छात्रवृति मिलती थी और अब ऑटोमिक व न्यूक्लियर फिजिक्स में इंटेग्रेटेड पीएचडी हेतु अलग-अलग वर्ष पुस्तकों व लैपटॉप आदि के लिए सहायता राशि के अलावा 21 हजार से 35 हजार रू. मासिक फ़ेलोशिप भी मिलेगी।
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