Himachal News: लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने 51 वर्ष पुराने ‘हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम-1972’ में संशोधन किया है। इस एतिहासिक निर्णय से अब पैतृक सम्पत्ति में वयस्क बेटी को भी एक अलग इकाई माना जाएगा।
राज्य सरकार ने मौजूदा अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा 4 में ‘पुत्र’ शब्द के बाद ‘या पुत्री’ शब्द सम्मिलत कर त्रुटि को सही किया है।
संशोधन के उपरांत बेटी को बेटे के समान एक अलग इकाई के रूप में शामिल किया गया
इस संशोधन के उपरांत बेटी को बेटे के समान एक अलग इकाई के रूप में शामिल किया गया है। इससे पहले, इस अधिनियम में एक वयस्क पुत्र को अलग इकाई के रूप में अतिरिक्त 150 बीघा भूमि तक का प्रावधान था जबकि वयस्क पुत्री को इस समान अधिकार से वंचित रखा गया था।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर प्रदेश विधानसभा में 29 मार्च, 2023 को यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया और लैंगिक समानता सुनिश्चित करते हुए 3 अपै्रल, 2023 को इसे पारित कर दिया गया।
स्वतंत्र इकाई मानते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित की गई
इससे पैतृक सम्पति में पुत्र और पुत्री दोनों को ही स्वतंत्र इकाई मानते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित की गई है।यह विधेयक भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लैंगिक असमानता को दूर करने का मार्ग प्रशस्त करता है। मुख्यमंत्री ने इस विषय में विशेष रूचि दिखाते हुए राज्य विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में इस संशोधन विधेयक को प्रस्तुत करने की पहल की। प्रदेश सरकार के इस कदम का समाज के सभी वर्गों ने स्वागत करते हुए इसे राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक पहल करार दिया है।
संशोधन कर पुत्रियों वाले लाखों परिवारों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया है
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने आवश्यक संशोधन कर पुत्रियों वाले लाखों परिवारों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का उद्देश्य लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाले असंवैधानिक खंडों को हटाकर बेटियों को पैतृक सम्पत्ति के भू-स्वामित्व में समान अधिकार सुनिश्चित करना है।