श्री जगन्नाथपुरी मंदिर पहुंची अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) की  महासंगम यात्रा

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हिन्दुओं के चार धाम में से एक है श्री जगन्नाथपुरी मंदिर

 

उड़ीसा/जगन्नाथपूरी–29 जनवरी 2025: अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एवं भगवा ऐप द्वारा आयोजित पवित्र  महासंगम यात्रा  मंगलवार को  उड़ीसा के तटवर्ती शहर पूरी पहुंची। इस पवित्र महासंगम यात्रा नेतृत्व अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC)  के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेश यादव जी व IMPC के राष्ट्रीय महामंत्री एवं AVPL International के चेयरमैन श्री दीप सिहाग सिसाय के द्वारा किया जा रहा है। इस आयोजन में लाखो श्रद्धालुओं ने भाग ले रहें है। यह यात्रा 25 फरवरी तक जारी रहेगी। 

आपको बता दें यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। जगन्नाथशब्द का अर्थ “जगत का स्वामी” होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है।  श्री जगन्नाथ पूरी पहुँचने पर सर्वप्रथम IMPC के महामंत्री श्री दीप सिहाग सिसाय  ने यात्रा के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर यात्रा में साथ लाए गए शिव मूर्ति और शिव लिंग का रुद्राभिषेक किया। इसके बाद संध्या आरती का आयोजन किया गया साथ ही भक्तो द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। जिस दौरान पूरा श्री जगन्नाथ पूरी भगवान् शिव की भक्ति में विलीन हो गया।

12 त्रिशूल और शिव लिंग का किया गया रुद्राभिषेक

 

29 जनवरी की को यात्रा के दौरान, श्री राजेश यादव जी जगन्नाथ पूरी में सर्वप्रथम भगवान श्री जगन्नाथ जी के दर्शन किये और पूजा अर्चना की, इसके बाद यात्रा में साथ चल रहें भगवान भोले शंकर और शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया। इसके लावावा यात्रा के साथ चल रहें 12 त्रिशूलों का भी पूजन किया गया। आपको बता दें महाकुंभ प्रयागराज में स्तिथ महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद सरस्वती जी के आश्रम में 108 त्रिशूलों का पूजन 108 पंडितों द्वारा सुबह और सायं किया जा रहा है, यह पूजन 30 दिन की इस यात्रा के दौरान लगातार जारी रहेगा। इसके बाद इन त्रिशुलों को मंदिरों me स्थापित किया जायेगा।

 

भारत की संस्कृति और सभ्यता से युवाओं को जोड़ना है यात्रा का उदेश्य

 

वितिद हो कि इस पवित्र महासंगम यात्रा का आयोजन एवं समर्थन भगवा ऐप द्वारा किया जा रहा है, जोकि भारत के सभी मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों सहित मंदिरों के पुजारियों को एक डिजिटल मंच देती है। यह यात्रा हर शहर में जहां भी यात्रा रुक रही है, वहां IMPC के यात्रा सारथी बनायें जा रहें है, और इनके माध्यम से भारी संख्या में हिन्दू सेवकों को जोड़ा जा रहा है, जोकि बतौर IPMC के वॉलंटियर कार्य करेंगे हैं। इसके आलावा मंदिरों से जुड़े पूजा सामग्री बेचने वालें छोटे और बड़ें दुकानदारों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवाया जा रहा है। इतना ही नहीं प्राचीन मंदिरों की साफ-सफाई को लेकर भी एक टीम का गठन हर मंदिर में किया जा रहा है। साथ ही स्किल डेवलपमेंट सेंटर, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल मन्दिर प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

प्राचीन धार्मिक स्थलों को डिजिटल टूरिज्म से जोड़ना है उदेश्य

जानकारी देते हुए अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC)  के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेश यादव जी ने बताया कि इस यात्रा के माध्यम से IMPC का लक्ष्य 1 लाख वॉलंटियर जोड़ने का है, जोकि देशभर में धार्मिक स्थलों को पुनः जीवित करेंगे और मंदिरों के लिए आवश्यक कार्यों को अंजाम देंगे। साथ ही, मंदिरों को डिजिटल रूप से भी विकसित किया जाएगा ताकि धार्मिक पर्यटन डिजिटल किया जा सके और देश की प्राचीन धरोहर को बड़े टूरिज्म में बढ़ावा मिल सके।

IMPC की विशेष योजनाएं:
IMPC द्वारा इस यात्रा में धार्मिक स्थलों के संरक्षण, पानी की बचत, मंदिरों की सफाई, पंजीकरण, और विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यों के आयोजन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और आस्था को पुनर्निर्मित करने का कार्य किया जा रहा है।

यात्रा के बारें में

यह पवित्र महासंगम यात्रा, जो 108 त्रिशूलों के साथ 23 जनवरी 2025 को दिल्ली से शुरू हुई थी, 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धामों की यात्रा करते हुए 24 फरवरी 2025 को दिल्ली में समाप्त होगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को एकजुट करना और उनकी महिमा को फिर से स्थापित करना है। यात्रा की शुरुआत महाकुंभ में 108 त्रिशूलों के जलाभिषेक से हुई है, और ये त्रिशूल पूरे देश के 108 शिव मंदिरों में स्थापित किए जाएंगे। इन मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, जिसमें सफेदी, लाइट्स, पानी की सुविधा, वाई-फाई और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

महाकुंभ में 108 त्रिशूलों के लिए महायज्ञ और लंगर का आयोजन भी किया रहा है,  यात्रा के दौरान, 12 त्रिशूल, एक शिवलिंग और एक शिव मूर्ति 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धामों में ले जाई जाएगी, और इनको पूरे देश और विदेशों में भी प्रतिष्ठित किया जाएगा। हमारा उद्देश्य है कि इन मंदिरों को फिर से उनकी भव्यता और महिमा प्राप्त हो, साथ ही स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिले।

हम इस यात्रा के जरिए भारतीय समाज को एकजुट करना चाहते हैं, और मंदिरों के पुनर्निर्माण के जरिए आध्यात्मिकता और संस्कृति को जीवित रखना चाहते हैं। महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को इन 108 त्रिशूलों को 108 शिव मंदिरों में शक्तिकेंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा, ताकि युवाओं को आकर्षित किया जा सके और मंदिरों में स्थानीय आगंतुकों की संख्या बढ़ सके। यह यात्रा भगवान शिव की भक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण को प्रेरित करती है, जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है: “सर्व-धर्मान परित्यज्य माम एकं शरणं व्रज, अहं त्वं सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।”

 

अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद के बारें में

अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एक समर्पित संगठन है जो भारत के मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए कार्य कर रहा है। हमारा उद्देश्य इन पवित्र स्थानों को फिर से जीवंत करना और इन्हें समृद्ध समुदाय केंद्रों में बदलना है। यह हम समुदायों, निजी उद्यमों और सरकारों के सहयोग से कर रहे हैं। हमारा मिशन धरोहर संरक्षण, सामाजिक उत्थान और पर्यावरणीय स्थिरता पर आधारित है, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से मेल खाता है।

हम मंदिरों के पुनर्निर्माण और विकास के साथ-साथ, समुदायों के बीच सामाजिक समरसता और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत हम मंदिरों में बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था, जैसे पानी, सफाई, और ऊर्जा के लिए नवीकरणीय समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम महिला सशक्तिकरण, बच्चों के कल्याण, और कौशल विकास के कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम भी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, हम सतत उपभोग, पुनर्चक्रण और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में भी सक्रिय हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और स्वच्छ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

IMPC का उद्देश्य भारतीय मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों के माध्यम से देश में सामाजिक समृद्धि, पर्यावरण संरक्षण और एकता को बढ़ावा देना है।

Firenib
Author: Firenib

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