22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान को अगले कई सालों तक हिलाने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके बाद में भारत की तरफ से काफी बड़े कदम उठाए जा रहे है और कई विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में कई निर्णयात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। जो सबसे बड़ा फैसला अभी तक भारत ने लिया है, वह सिंधु जल समझौते को खत्म करना है। वही सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के भारत के कदम से पाकिस्तान पर कम से कम चार तरह से असर पड़ेगा। इसमें दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान होने वाला कृषि उत्पादन भी शामिल है। वही भारत का फैसला पाकिस्तान में बासमती चावल समेत कपास और गेहूं की फसल को संकट में डाल देगा।
कपास, चावल की खेती संकट में
हिमालय में ग्लेशियर 15 मई के आसपास पिघलना शुरू हो जाएंगे। वही भारत में ग्लेशियर के पानी और बारिश के बीच रिजवॉयर स्टोरेज कैपिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन 59:41 है। भारत अपने जलाशयों में कम से कम सितंबर और उसके बाद तक पानी को पाकिस्तान को छोड़े बिना बनाए रख सकता है। इससे खरीफ सीजन के दौरान पाकिस्तान के कपास और चावल के उत्पादन पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कपास की बुवाई 15 अप्रैल के आसपास शुरू होती है। इससे फसल को अंकुरित होने और बढ़ने के लिए पानी की जरूरत होगी। वही पानी की कमी से कपास का उत्पादन प्रभावित होगा।
भारत को होगा फायदा
पाकिस्तान हर साल करीब सालाना लगभग 70 लाख गांठ कपास का उत्पादन करता है इससे पहले से ही कपास की कमी से जूझ रहे किसानों और कपड़ा उधोग पर असर देखने को मिलेगा। वही भारत के इस फैसले से चावल उत्पादन पर भी असर देखने को मिलेगा इसके साथ ही पाकिस्तान सालाना लगभग 10 मिलियन टन चावल का उत्पादन करता है इससे पाकिस्तान में धान की बुवाई 15 मई से शुरू हो जाती है इससे पंजाब और सिंध जैसे राज्यों को सिंचाई की जरूरत होती है। वही ये क्षेत्र नहर के पानी पर निर्भर करता है। इससे बड़े किसानों को छोड़कर, जिनके पास में बोरवेल है बाकि सभी को प्रभावित करती है इससे बासमती चावल के बाजार को भी लाभ मिलता है इसके साथ ही पाकिस्तान की बासमती फसल भी इससे काफी ज्यादा प्रभावित होगी।
