प्रयागराज, महा कुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, स्वच्छता और आधुनिक तकनीक का संगम बन गया है। हर बार कुंभ में करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने पहली बार स्वच्छता के लिए इस्तेमाल हो रही अत्याधुनिक तकनीक को अपनी आँखों से देखा और समझा कि कैसे विज्ञान और संस्कृति मिलकर हमारी परंपराओं को सुरक्षित रख सकते हैं।
पहली बार लोगों ने देखा तकनीक का चमत्कार
अब तक कुंभ में सफाई की जिम्मेदारी केवल सफाई कर्मियों और स्वयंसेवकों की होती थी, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। पहली बार श्रद्धालुओं ने देखा कि किस तरह आधुनिक ट्रैश स्किमर मशीनें गंगा से फूल, नारियल और अन्य पूजन सामग्री को निकालकर तुरंत रिसाइकिलिंग प्लांट तक पहुंचा रही हैं। इससे न केवल नदी स्वच्छ बनी हुई है, बल्कि गंगा की पवित्रता भी बरकरार रखी जा रही है।
शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया, “हमारी परंपराएं हमारी धरोहर हैं, लेकिन उन्हें बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेना जरूरी है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि महा कुंभ में श्रद्धालु अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करें और साथ ही गंगा की स्वच्छता में भी योगदान दें।”
आधुनिकता हमारी संस्कृति की रक्षा कर रही है
हमेशा यह धारणा रही है कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक संस्कृति एक साथ नहीं चल सकते, लेकिन महा कुंभ 2025 ने इस सोच को बदल दिया है। पहली बार श्रद्धालु देख रहे हैं कि कैसे विज्ञान, धर्म की सेवा कर सकता है।
Cleantec Infra के मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव चोपड़ा ने कहा, “यह पहल दिखाती है कि जब सरकार और समाज मिलकर काम करते हैं, तो आधुनिक तकनीक केवल जीवन को आसान ही नहीं बनाती, बल्कि हमारी परंपराओं की रक्षा भी करती है। अब गंगा को स्वच्छ रखने के लिए श्रद्धालु भी जागरूक हो गए हैं और सरकार की इस पहल का समर्थन कर रहे हैं।”
गंगा की स्वच्छता में श्रद्धालुओं की भागीदारी
पहली बार लोगों को यह एहसास हुआ कि गंगा में फूल या नारियल प्रवाहित करने से पुण्य नहीं मिलता, बल्कि इसे स्वच्छ रखने से असली पुण्य अर्जित होता है। घाटों पर बने स्वच्छता केंद्रों पर श्रद्धालु अपनी पूजन सामग्री जमा कर रहे हैं, ताकि उसका सही निपटान किया जा सके।
धर्म, तकनीक और समाज का अनोखा संगम
महा कुंभ 2025 यह साबित कर रहा है कि यदि सही तकनीक और नीयत हो, तो आधुनिकता और परंपरा एक साथ आगे बढ़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वच्छता के लिए जो तकनीकी कदम उठाए हैं, वे आने वाले समय में धार्मिक आयोजनों के लिए एक नई मिसाल बनेंगे।अब यह स्पष्ट हो गया है कि आधुनिकता केवल विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की रक्षा करने का एक मजबूत साधन भी है। गंगा को स्वच्छ रखने की यह ऐतिहासिक पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी, जिससे वे समझेंगे कि परंपराओं को निभाने के साथ-साथ प्रकृति और समाज की रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है।
स्वच्छ कुंभ, दिव्य कुंभ
इस महा कुंभ ने यह संदेश दिया है कि आस्था और आधुनिकता जब मिलते हैं, तो परंपराएं और भी मजबूत होती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान और संस्कृति एक साथ चल सकते हैं और जब सही सोच के साथ तकनीक का उपयोग किया जाए, तो यह न केवल हमारी आस्था को संरक्षित करता है, बल्कि हमारे पर्यावरण को भी बचाता है।
“गंगा को स्वच्छ रखना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, यह हर श्रद्धालु का कर्तव्य है। जब हम इसे समझेंगे, तभी असली पुण्य प्राप्त होगा।”
Read More..Mahasangam Yatra: द्वारका पहुंची महासंगम यात्रा, मां गोमती के तट पर हुआ भव्य अनुष्ठान
