द्वारका, गुजरात | अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) द्वारा आयोजित महासंगम यात्रा भारतीय संस्कृति, सनातन परंपराओं और आध्यात्मिक जागरण का अनूठा संगम बन चुकी है। यह यात्रा देशभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ते हुए श्रद्धालुओं को भारतीय विरासत से जोड़ने का कार्य कर रही है। इसी क्रम में, महासंगम यात्रा सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के बाद द्वारका पहुंची, जहां एक भव्य अनुष्ठान संपन्न हुआ।
इस अवसर पर IMPC के राष्ट्रीय महामंत्री एवं AVPL इंटरनेशनल के चेयरमैन श्री दीप सिहाग सिसाये ने द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर मां गोमती में पवित्र स्नान किया और अपने वजन के बराबर अन्नदान करने का सौभाग्य प्राप्त किया। मां गोमती के पावन तट पर उन्होंने नंदी जी, गौमाता, मछलियों एवं पक्षियों की पूजा कर भोजन अर्पित किया, जिससे प्रकृति और जीवों के प्रति सम्मान और दानशीलता का संदेश दिया गया। इस विशेष अनुष्ठान के दौरान, यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने भी धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए पूजन एवं सेवा कार्य किए।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन द्वारका दर्शन के बाद महासंगम यात्रा पावन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये, आपको बता दें नागेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव की अनंत महिमा का प्रतीक माना जाता है। अरब सागर के निकट स्थित यह प्राचीन मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां शिवजी ने दारुक राक्षस का वध कर भक्तों को अभयदान दिया था। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने यहाँ विशेष पूजन-अभिषेक किया और भगवान शिव से कृपा एवं शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर के विशाल शिव प्रतिमा और इसकी दिव्य आभा ने सभी को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया। इस पावन स्थल का दर्शन महासंगम यात्रा के उद्देश्यों को और अधिक सशक्त बनाता है, जो भक्तों को भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं से जोड़ने का कार्य कर रही है। महासंगम यात्रा भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक चेतना और सनातन परंपराओं के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रही है। यह यात्रा न केवल मंदिरों और तीर्थ स्थलों को जोड़ रही है, बल्कि समाज में धर्म, सेवा और संस्कारों का भाव भी जागृत कर रही है।
108 त्रिशूलों का पूजन
इसके अलावा यात्रा के साथ चल रहें 12 त्रिशूलों का भी पूजन किया गया। आपको बता दें महाकुंभ प्रयागराज में स्तिथ महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद सरस्वती जी के आश्रम में 108 त्रिशूलों का पूजन 108 पंडितों द्वारा सुबह और सायं किया जा रहा है, यह पूजन 30 दिन की इस यात्रा के दौरान लगातार जारी रहेगा। इसके बाद इन त्रिशुलों को मंदिरों में स्थापित किया जायेगा।
प्राचीन स्थलों का दिव्य अनुभव:
महासंगम यात्रा के दौरान, भक्तों ने न केवल सोमनाथ मंदिर का दिव्य दर्शन किया, बल्कि अन्य प्राचीन तीर्थस्थलों से भी प्रेरणा प्राप्त की। सूर्यपुत्री ताप्ती माता, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर और कई अन्य पावन स्थलों का दर्शन कर, भक्तों ने अपने जीवन में सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन धरोहरों के महत्व को महसूस किया। इन स्थलों की प्राचीन कथाएँ और इतिहास आज भी भक्तों के दिलों में श्रद्धा के साथ जी रहे हैं।
यात्रा का उद्देश्य और प्राचीन धरोहर का डिजिटलकरण
आपको बता दें कि इस महान मह्संगम यात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म के पुनर्जागरण के साथ-साथ मंदिरों और पुजारियों को डिजिटल की दुनियां से जोड़ना है, मंदिरों के आधुनिकीकरण, धरोहर संरक्षण और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देना है। अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एवं भगवा ऐप के सहयोग से आयोजित यह यात्रा, भक्तों को न केवल प्राचीन धार्मिक परंपराओं से जोड़ती है, बल्कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से उन्हें ऑनलाइन पूजा, आरती एवं अन्य धार्मिक गतिविधियों का सुविधाजनक मंच भी प्रदान करती है। भगवा ऐप के जरिए भक्त अब मोबाइल उपकरणों के माध्यम से भी अपने धार्मिक अनुष्ठानों का आनंद ले सकते हैं।
यात्रा में अब तक का सफर
इस 30 दिनों तक चलने वाली यात्रा ने अब तक 19 दिन पुरे कर लियें है, यात्रा ने अब तक 17 दिनों में 4,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर ली है, जिसमें अनेकों पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन किए गए और हजारों श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लेकर अपनी आस्था प्रकट की। यात्रा की शुरुआत प्रयागराज महाकुंभ से हुई, जहाँ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान कर इसे ऐतिहासिक स्वरूप दिया। इसके पश्चात यात्रा काशी विश्वनाथ धाम पहुँची, जहाँ भगवान शिव के चरणों में भक्तों ने अपने संकल्प को और दृढ़ किया। वहाँ से यात्रा बाबा बैद्यनाथ धाम (झारखंड), लिंगराज मंदिर (ओडिशा), द्राक्षारामम एवं अमर लिंगेश्वर स्वामी मंदिर (आंध्र प्रदेश), श्रीशैल मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जलाकंडेश्वर मंदिर (वेल्लोर, तमिलनाडु) और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक पहुँची। अब यह पवित्र यात्रा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने के पश्चात नासिक में त्र्यन्म्बकेश्वर मंदिर में दर्शन कर सूरत के तापी नदी के तट पर पहुची यहाँ से यात्रा आज सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु सोमनाथ पहुँची है। इसके बाद यात्रा 13 फरवरी को अहमदाबाद पहुचेगी, इसके बाद यात्रा उज्जैन, ओंकारेश्वर, मथुरा, वृंदावन, हरिद्वार, ऋषिकेश और उखीमठ होते हुए 21 फरवरी 2025 को दिल्ली में संपन्न होगी। विदित हो की यात्रा के दौरान मार्ग में पड़ने वाले प्रत्येक मंदिर और नदियों पर पूजा अर्चना भी की भी लगातार की जा रही है.
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भगवा ऐप, IMPC और यात्रा के बारे में
महासंगम यात्रा, भगवा ऐप द्वारा समर्थित, भारतीय संस्कृति और सभ्यता से युवाओं को जोड़ने का माध्यम है। इस यात्रा में IMPC के वॉलंटियर (हिंदू सेवक) जोड़े जा रहे हैं, पूजा सामग्री विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है, और प्राचीन मंदिरों की सफाई के लिए टीमें बनाई जा रही हैं। IMPC का लक्ष्य 1 लाख वॉलंटियर जोड़कर धार्मिक स्थलों को पुनर्जीवित करना और डिजिटल टूरिज्म के माध्यम से भारतीय धरोहर को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है।
महासंगम यात्रा: 12 ज्योतिर्लिंग और 4 धामों का पवित्र सफर
यह यात्रा 23 जनवरी 2025 को दिल्ली से शुरू होकर 24 फरवरी 2025 को दिल्ली में समाप्त होगी। महाकुंभ में 108 त्रिशूलों के जलाभिषेक से यात्रा की शुरुआत हुई, जिन्हें 108 शिव मंदिरों में स्थापित किया जाएगा। 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धामों में शिवलिंग और त्रिशूल प्रतिष्ठा, मंदिरों के सौंदर्यीकरण, सफेदी, लाइटिंग, पानी और वाई-फाई जैसी सुविधाओं को जोड़ा जाएगा। 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि को 108 त्रिशूल शक्तिकेंद्र के रूप में स्थापित किए जाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य मंदिरों की महिमा पुनः स्थापित करना और पर्यटन को बढ़ावा देना है।
IMPC: मंदिरों के पुनर्जागरण की दिशा में एक कदम
अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) मंदिरों के पुनर्निर्माण और उन्हें समृद्ध आध्यात्मिक केंद्रों में बदलने के लिए कार्यरत है। हम धरोहर संरक्षण, सामाजिक उत्थान और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से मेल खाता है। मंदिरों में पानी, सफाई और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों को लागू किया जा रहा है, साथ ही महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास और बच्चों के कल्याण से जुड़े कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। IMPC का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, एकता और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देना है।
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हर हर महादेव!
