आज कल भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते हर किसी के पास में समय का अभाव है। लेकिन जूनून और हौसला है तो आप कुछ भी कर सकते है। ऐसा कुछ महाराष्ट्र के विजय राठौड़ ने साबित कर दिखाया है वह काफी अच्छा शख्स है जो जॉब के साथ में खेती करते है इससे वह काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे है।
जॉब के साथ में करते है खेती
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी के पास समय का अभाव है। लेकिन जुनून और हौसला हो तो कुछ भी संभव है। महाराष्ट्र के बीड जिले के विजय राठौड़ ने इसे सही साबित किया है। वह ऐसे व्यक्ति है जॉब के साथ में खेती भी करते है। इससे वो अच्छा-खासा मुनाफा भी कमाते हैं।
विजय करते है मूंगफली की खेती
विजय खरीफ और रबी दोनों मौसम में मूंगफली की खेती करते हैं। उन्होंने खेती में ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही कीट कंट्रोल के लिए उन्होंने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। जिससे प्रोडक्शन में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने पिछले साल एक एकड़ में मूंगफली की खेती की थी, जिससे उनको अच्छा-खासा मुनाफा हुआ है। इस खेती से उनको सालाना 3 लाख रुपए की कमाई हुई इस साल वो खेती का दायरा बढ़ाने की सोच रहे हैं।
बताया मूंगफली की खेती का तरीका
भारत में मूंगफली की खेती खरीफ में जून से जुलाई के बीच की जाती है। जबकि रबी में अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है। वही मूंगफली की खेती के लिए भुरभुरी दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके साथ ही भुरभुरी मिट्टी के लिए खेत को 2-3 बार अच्छे से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद खेत को बराबर कर लेवे। इसकी खेती ऐसी जगह पर की जाती है, जिससे अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। एक एकड़ में 4-5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए।
मूंगफली की किस्म के लिए 75-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और फैलने वाली किस्मों के लिए 60-70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है। मूंगफली के पौधों के बीच 3 से 6 इंच की दूरी होनी चाहिए। जबकि लाइन से लाइन की दूरी 18 इंच होनी चाहिए। मूंगफली की खेती में सिंचाई का खास ध्यान रखना पड़ता है। मिट्टी सूखने पर सिंचाई करनी चाहिए। वही 20-25 दिन के बाद निराई-गुड़ाई करना भी जरुरी है। जब पौधे पीले होने लगे और पत्तियां गिरने लगे तो फसल की कटाई करें।
