खरीफ की फसलों की बुवाई का समय नजदीक आता जा रहा है इसे देखते हुए कृषि विभाग द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गयी है इस कड़ी में उत्तर पाएदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में प्री-खरीफ 2025 को लेकर एक समीक्षा बैठक की गयी है इस बैठक में खनऊ, कानपुर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती एवं गोरखपुर के मंडल स्तरीय अधिकारी एवं जनपद के उप कृषि निदेशक तथा जिला कृषि अधिकारी द्वारा खरीफ 2025 की रणनीति को प्रस्तुत किया गया है वही कृषि मंत्री शाह ने कुछ मुख्य बिंदुओं पर भी जोर दिया है।
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि अधिकारी जनपदों का नियमित रूप से भ्रमण करें तथा जनपदों में संचालित योजनाओं एवं प्रदर्शनों का सत्यापन कर जनपदीय फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने की रणनीति तैयार करें।
ढैंचा एवं जिप्सम की जनपदों में आपूर्ति सुनिश्चित कराते हुए किसानों को उसके उपयोग के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाए।
जनपदीय / मण्डलीय अधिकारी जनपद के लिए आवश्यक फसलों की सामान्य एवं संकर प्रजातियों की सूचना अपर कृषि निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) को उपलब्ध करा दें।
प्रत्येक दशा में धान की नर्सरी दिनांक 15 मई तक पूर्ण करते हुए रोपाई का कार्य 15 जून तक संपन्न करा लिया जाए।
वही प्रक्षेत्रों पर शत-प्रतिशत पंक्ति में बुवाई सुनिश्चित की जाए।
इसके साथ ही प्रक्षेत्र के समस्त खण्डों एवं योजनान्तर्गत आयोजित किए जाने वाले प्रदर्शनों के प्लाट का शत-प्रतिशत मृदा परीक्षण कराया जाए तथा उर्वरकों, का प्रयोग संस्तुति के आधार पर किया जाए।
वही प्रदर्शनों पर बोर्ड लगाते हुए निर्धारित सूचनाएं अंकित करते हुए शत-प्रतिशत सत्यापन किया जाए।
वही प्रदर्शनों में दलहनी एवं तिलहनी फसलों को प्राथमिकता दी जाए तथा एक विजिटर रजिस्टर रखा जाए जिसमें उस प्रदर्शन का भ्रमण करने वाले प्रत्येक किसान का विवरण अंकित किया जाए।
धान एवं गेहूं के रकबा को कम कर दलहनी/तिलहनी/मोटे अनाज का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जाए।
वही जनपदों में आयोजित होने वाली क्राप कटिंग में अधिकारी/कर्मचारी शत-प्रतिशत प्रतिभाग कर उनके परिणामों का अंकन किया जाए।
गन्ने एवं मक्के के साथ यथासंभव अंतः फसली खेती को बढ़ावा दिया जाए।
इससे मक्का एवं अरहर के आच्छादन में वृद्धि करते हुए उसके उत्पादन की तकनीक कृषकों तक पहुंचाई जाए।
