Success Story: ‘जब कुछ बन जाऊंगा, तब सभी के सामने आऊंगा… इसी जिद ने बना दिया असिस्टेंट प्रोफेसर

Success Story: कहते हैं ‘जब जागो तभी सवेरा, यह कहावत राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले के छोटे से गांव कापराउ के कानाराम मेघवाल पर सटीक बैठती है कानाराम के पिता एक किसान है और उनकी आय बेहद ही कम है इसलिए कानाराम की स्कूली शिक्षा बेहद ही कमजोर रही है लेकिन इसके बावजूद भी कानाराम ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर इतिहास रच दिया है.
कानाराम ने 10वीं एवं 12वीं में बेहद ही कम अंक प्राप्त किए हैं कानाराम 12वीं की परीक्षा में महेश 48 प्रतिशत नंबर ही प्राप्त कर पाए थे लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में टॉप किया है दोस्तों आइए जानते हैं कानाराम मेघवाल की सफलता का राज और उनकी कहानी.
Success Story: जब कुछ बन जाऊंगा तब सभी के सामने आऊंगा
कानाराम के पिता की आए देहरी कम थी बेहद ही कम थी इस कारण कानाराम को अच्छी शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाए और खाना सामने 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा में बेहद ही कम अंक प्राप्त किए कानाराम ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा तो महज 48 प्रतिशत आंखों से ही उत्तीर्ण की थी लेकिन यह सब होने के बाद भी कानाराम ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत के दम पर कुछ कर गुजरने की ठानी और उन्होंने हाल ही में घोषित किए गए संस्कृत विषय के कॉलेज लेक्चरर परीक्षा परिणाम में पूरे प्रदेश में एससी वर्ग में पहला स्थान प्राप्त किया है.

और अपनी मेहनत के बलबूते असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर मंजिल को हासिल किया है वही कानाराम ने बताया है कि उन्होंने कई वर्षों से सामजिक आयोजनों और कार्यक्रमों में जाना बंद कर दिया था. वजह महज इतनी सी थी की ‘जब कुछ बन जाऊंगा तब सभी के सामने आऊंगा,
Success Story: कई बार सामने आई सफलताएं और निराशा
कानाराम को कई बार सफलता हाथ लगी लेकिन उनके पास कभी कुछ योग्यता और कभी कुछ योग्यता नहीं होने के कारण हम सफलताओं का वह लाभ नहीं उठा पाए कानाराम के पिता एक किसान हैं और कानाराम अपने पिता का खेती में बिहार बताते हैं अन्नाराम ने बाड़मेर के राजकीय महाविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर संस्कृत स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में वर्ष 2006 में किया है. वहीं कानाराम ने बीएड 2007 में पास की थी. जबकि उनका इसी वर्ष थर्ड ग्रेड शिक्षक में चयन हो गया था, लेकिन बीएड डिग्री न होने के कारण यह नौकरी उन्हें नहीं मिल पाई. वहीं
साल 2009 से 2010 में एक बार फिर तृतीय श्रेणी संस्कृत विभाग में इनका चयन हुआ और 2010 में वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत विभाग में आरपीएससी टॉपर बने, लेकिन कानाराम के पास शास्त्री डिग्री नहीं होने के कारण यह वरिष्ठता भी उन्हें नहीं मिल पाई. साल 2016 में संस्कृत व्याख्याता पद पर उनका प्रमोशन हुआ. वहीं साल 2017 में आरपीएससी स्कूल व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती में उनका चयन बांसवाड़ा के लिए हुआ, लेकिन पहले से व्याख्याता पद पर कार्यरत होने के कारण उन्होंने बांसवाड़ा ज्वाइन नहीं किया.
Success Story: फिर ऐसे पाई सफलता
कानाराम इन सब के बावजूद भी अपनी मेहनत जारी रख रहे थे और असफलताओं के बावजूद भी उनके मन में पीछे हटने का ख्याल नहीं आया और उन्होंने लगातार प्रयास किया और 22 सितंबर 2021 को कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर का एग्जाम दिया और इस परीक्षा का साक्षात्कार 10 अक्टूबर 2022 को हुआ जिसमें कानाराम ने इतिहास रचते हुए एससी वर्ग से राज्य में टॉपर बन कर निकले कानाराम ने पूरे राज्य में 29वी रैंक प्राप्त की.
कानाराम ने बताया कि वह नियमित रूप से 5 से 6 घंटे रोज पढ़ाई करते थे वह 6 बहनों के इकलौते भाई थे लेकिन उनके पिता ने बड़ी मेहनत से उन्हे पढ़ाया और आज उन्होंने जो भी सफलता प्राप्त की हैं वह अपने परिवार की वजह से ही कर पाए हैं यह सब करके कानाराम ने अपने गांव अपने परिवार का नाम रोशन किया है और इस समय उनके घर पर बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ है।