इस मौसम में बढ़ते हुए तापमान का असर मछलियों पर देखने को मिल रहा है क्योकि अप्रैल के आखिर में मई की शुरुआत में पारा 40 डिग्री या इससे भी ज्यादा ऊपर तक पहुंच जाता है मछलियों के तालाब का पानी भी चाय के पानी जैसा ही होता है वही मछलियां बीमार होने लगती हैं। मछलियों की मौत तक हो जाती है। इससे फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो 31 डिग्री से ऊपर का तापमान मछलियों के लिए जानलेवा हो जाता है। पानी तेज गर्म होने के चलते उसमे ऑक्सींजन की मात्रा भी कम हो जाती है। आक्सीजन की कमी के चलते ही तालाब में ज्यादातर मछलियों की मौत हो जाती है. खासतौर पर नॉर्थ इंडिया के यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गर्मी ज्यादा पड़ती है तो मछली पालकों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है।
अप्रैल से जून तक इतना रखें तालाब का तापमान
तालाब में ज्यादातर रोहू, कतला, मृंगाल मछली का पालन किया जाता है। वही गर्मी के इस मौसम में मछलियों को 26 से 31 डिग्री तापमान वाले पानी की जरूरत होती है। लेकिन अभी तापमान भी बढ़ रहा है। कई बार तो तापमान 40 से 42 डिग्री तक तापमान पहुंच रहा है. यह मछलियों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। जब गर्म हवाएं चलती हैं तो हालात और भी खराब हो जाते हैं। पानी के अंदर इसी से झींगा को मुख्य रूप से ऑक्सीजन मिलती है। लेकिन तेज गर्मी और गर्म पानी के चलते यह मुरझा जाती है। अब क्योंकि मछली पालन के लिए बिजली कमर्शियल होने के चलते बहुत महंगी है तो मछली पालक तालाब में पंखे और इरेटर बहुत कम चलाते हैं।
तालाब में करे ये जरुरी बदलाव
तालाब के पानी को ठंडा रखने के लिए ये जरूरी है कि खासतौर पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक पंखे और इरेटर चलाएं। वही गर्मियों में सूखा खाने को न दें। एक लीटर मीठे फ्रेश पानी में 100 ग्राम गुड़ घोलकर, दो से तीन ग्राम विटामिन सी घोलकर दें।
ग्लूकोज पाउडर भी खोलकर पिलाया जा सकता है। वही मछलियों को दी जाने वाली दोपहर की खुराक एकदम कम कर दें। इससे 10 फीसदी से ज्यादा खाने को न दें। वही सुबह-शाम और रात 30-30 फीसद तक खाने को दें। तालाब के पानी की हाईट बढ़ा दें। अगर तालाब में 3.5 फुट पानी है तो उसे पांच से 5.5 फुट कर दें। क्योंकि ऊपर का पानी गर्म भी हो जाएगा तो 3.5 फुट पानी की सतह सामान्य बनी रहेगी।
