ब्रिक्स देशों के साथ में हुई 15वीं बैठक में भारत में समावेशी, न्यायसंगत और सतत कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता वयक्त की है। वही भारत के कृषि मंत्री ने इस अवसर पर छोटे और सीमान्त किसानों के कल्याण को वैश्विक कृषि रणनीति के केंद्र में रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और स्पष्ट किया है कृषि भारत के लिए केवल आर्थिक गतिविधि ही नहीं बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए जीविका, भोजन और गरिमा का स्रोत है। भारत ने कहा कि जब तक छोटे किसानों को संरक्षित और सशक्त नहीं किया जाएगा, तब तक वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा।
भारत ने इस बात पर बल दिया कि दुनिया के 5100 लाख छोटे किसान वैश्विक खाद्य प्रणाली की रीढ़ हैं, और जलवायु परिवर्तन, मूल्य अस्थिरता और संसाधनों की कमी के बीच वे सबसे अधिक संवेदनशील हैं। वही कृषि मंत्री ने कहा कि “हम छोटे किसानों को इन चुनौतियों से लड़ने में अकेला नहीं छोड़ सकते, उन्हें हमारी नीतिगत सहायता की आवश्यकता है.” वही भारत ने क्लस्टर आधारित खेती, किसान उत्पादक संगठन सहकारी मॉडल और प्राकृतिक खेती को छोटे किसानों के सामूहिक सशक्तिकरण और बाजार तक बेहतर पहुंच का प्रभावी माध्यम बताया।
छोटे किसानों को दी जाएगा अधिक लाभ
भारत ने अपनी तकनीकी पहलों – डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, एग्री-स्टैक, ड्रोन तकनीक और क्लाइमेट रेजिलिएंट विलेजेज – को साझा करते हुए बताया कि इन नवाचारों ने योजनाओं की पहुंच, पारदर्शिता और किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार लाया है। उन्होंने ‘लखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहलों का उल्लेख कर ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। मंत्री ने कहा, “भारत के लिए महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण एक मिशन है।”
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साझा लड़ाई
इस बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साझा लड़ाई के लिए भारत ने अपने कार्यक्रमों, एनएमएसए, एनआईसीआरए, वेस्ट टू वेल्थ, सर्कुलर इकोनॉमी, जैव उर्वरक और पारंपरिक खेती – को साझा करते हुए सहयोग को और सशक्त बनाने का आह्वान किया है वही इस संदर्भ में ब्रिक्स कृषि मंत्रियों ने ब्रिक्स लैंड रिस्टोरेशन पार्टनरशिप” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण, और मिट्टी की उर्वरता में कमी से निपटना है। भारत ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा है कि यह पारम्परिक ज्ञान और वैज्ञानिक नवाचारों के संगम से छोटे किसानों आदिवासों समुदायों और स्थानीय कृषकों को लाभ पहुंचना है।
BRICS देशों ने एकजुट होकर वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली को न्यायसंगत, समावेशी, नवाचारी और सतत बनाने के संकल्प को दोहराया. इसमें खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलन, महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण, सतत मत्स्य पालन और पशुधन विकास, मिट्टी और भूमि पुनर्स्थापन, डिजिटल कृषि प्रमाणीकरण, और वैश्विक दक्षिण की कृषि अर्थव्यवस्थाओं के लिए वित्तीय एवं व्यापारिक तंत्र को बढ़ावा देने के संकल्प को प्रमुखता दी गई। वही भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने हेतु ‘ब्रिक्स लैंड रिस्टोरेशन साझेदारी’ इस मीटिंग में की गयी है।
