Chhath Puja : आज 29 अक्टूबर है और आज के दिन छठ पूजा का दूसरा दिन शुरु हो चुका है। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना या फिर लोहड़ा नाम से बुलाया जाता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार कार्तिक महीने की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन यानी के नहाए खाए वाले दिन लोग अपने तन और घर की साफ सफाई किया करते हैं और दूसरे दिन यानी आज खरना वाले दिन अपने मन को साफ किया जाता है।

छठ पूजा में साफ-सफाई के साथ-साथ ब्रम्हचर्य के कठिनाइयों में से जुड़ा हुआ है। देखा जाए तो खरना पूजा करने के बाद महिलाएं करीब 36 घंटे तक निर्जला व्रत किया करती है। आज हम आपको पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त बताएंगे।
Chhath Puja : छठ पूजा का दूसरा दिन शुभ मुहूर्त
हमारे ज्योतिष ज्ञानियों के अनुसार कार्तिक महीने की पंचमी को छठ पूजा का दूसरा दिन शुरू हो जाता है। आज यानी 29 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त 8:13 से शुरू होगा और कार्तिक महीने की पंचमी तिथि की समाप्ति कल यानी 30 अक्टूबर को सुबह के 5:39 पर समाप्त हो जाएगा। खरना वाले दिन यानी आज सूरज सुबह 6:41 पर होगा।
Chhath Puja : रवि योग में खरना 2022
इस साल का छठ पूजा का दूसरा दिन रवि योग में आ रहा है। आज सुबह के 6:41 से रवि लोग शुरू हो जाएगा। यह रवि योग सुबह के 9:41 तक ही रहने वाला है।

Chhath Puja : खरना का महत्व
खरना पूजा की विशेषता यह है कि लोग अपने मन की शुद्धि के लिए इस व्रत को किया करते हैं। इस दिन सभी महिलाएं अपने आप को मानसिक तौर पर 36 घंटे का व्रत करने के लिए पूरी तरह से तैयार कर लेती हैं। अपने तन और मन की शुद्धिकरण करने के बाद महिलाएं 36 घंटे का व्रत शुरु कर देती है, यह व्रत निर्जला किया जाता है। खास बात यह है कि छठ पूजा का जो भी प्रसाद बनता है, वह मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियों द्वारा बनाया जाता है।
Chhath Puja : खरना पूजा विधि
छठ पूजा के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से नियुक्त होकर व्रत करने का निश्चय किया जाता है।
आज के दिन निर्जला व्रत किया जाता है और पूरे दिन छठ माता के लिए प्रसाद बनाया जाता है।
रात के वक्त में चावल और गुड़ की मदद से खीर बनाई जाती है और साथ में पूरी भी बनाई जाती है।
प्रसाद पूरी तरह से बन जाने के बाद व्रत की गई महिला पहले सूर्य देव को भोग लगाती है और फिर एक दूसरे को प्रसाद बांटने लगती है।
सूरज देवता को प्रसाद ग्रहण कराने के बाद व्रत की गई महिला खुद के लिए प्रसाद बनाती हैं। जब महिला खुद प्रसाद ग्रहण कर लेती है तो उसके बाद वह अपने पूरे परिवार को भोजन करवाती हैं।
प्रसाद खा लेने के बाद महिला का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस निर्जला व्रत में महिलाएं पानी या फिर किसी भी फल का सेवन नहीं कर सकती हैं।

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