Himachal News: रेणुकाजी बांध से विस्थापित होने वाले किसानों द्वारा गठित संघर्ष समिति की मांग पर उपायुक्त एवं समाहर्ता सिरमौर सुमित खिमटा ने परियोजना प्रभावित परिवारों की सूची पर दावे व आक्षेप दर्ज करने की अंतिम तिथि 14 जून से आगे बढ़ाकर 11 जुलाई 2023 तय की हैं।

यह दावे व आक्षेप रेणुका डैम प्रोजेक्ट आफिस ददाहू तथा तहसीलदार संगड़ाह, नौहराधार, ददाहू, राजगढ़ व पच्छाद के कार्यालयों में प्रस्तुत किये जा सकते हैं।
1,408 परिवार मुख्य परियोजना प्रभावित परिवार हैं
डीसी ने बताया कि, रेणुकाजी बांध परियोजना में 20 पंचायतों के कुल 1,408 परिवार मुख्य परियोजना प्रभावित परिवार हैं, जिन्हें मुआवजा प्रदान किया गया है। इन प्रभावित परिवारों में 297 परिवारों की भूमि व घर जबकि 481 परिवारों की केवल भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसी प्रकार 40 परिवारों की संरचनाओं (मकान/स्ट्रक्चर) तथा 587 परिवारों की शामलात भूमि का अधिग्रहण किया गया है तथा 3 अन्य परियोजना प्रभावित परिवार हैं।
MPAF सूचियां डीसी सिरमौर की अधिकारिक बेवसाइट पर उपलब्ध है
उपायुक्त ने कहा कि, रेणुका बांध प्रभावित परिवारों की विस्तृत MPAF सूचियां डीसी सिरमौर की अधिकारिक बेवसाइट पर उपलब्ध है, जहां पर इनका अवलोकन किया जा सकता है। इसके अलावा आमजन की जानकारी हेतु सम्बन्धित पटवार वृतों व पंचायत कार्यालयों में भी यह सूची 16 मई से 11 जुलाई 2023 तक अवलोकनार्थ उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि, सभी सम्बन्धित व्यक्ति जिनकी भूमि या घर इस परियोजना हेतु अधिगृहित हुए हैं और उनका नाम इस सूची में सम्मिलित नहीं है या गलत रूप से सम्मिलित है, उन्हें Public Notice के माध्यम से सूचित किया गया है कि, इस सम्बन्ध में यदि किसी का कोई दावा या आक्षेप हो तो वह 11 जुलाई 2023 तक प्रातः 10 बजे से सांय 5 बजे तक व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक द्वारा प्रस्तुत कर सकते हैं।
15 दिन के भीतर अन्तिम रूप से सूचि को अधिसूचित कर दिया जाएगा
इसके उपरांत प्राप्त दावे व आक्षेप मान्य नहीं होंगे।सुमित खिमटा ने बताया कि, दावे व आक्षेप प्राप्त होने की अवधि समाप्त होने के 15 दिन के भीतर अन्तिम रूप से सूचि को अधिसूचित कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय महत्व के रेणुका डैम प्रोजेक्ट आफिस से विस्थापित होने वाले किसानों की संघर्ष समिति द्वारा MPAF list पर आपत्ति दर्ज करने की तारीख 2 माह आगे किए जाने को लेकर कल डीसी को मांग पत्र अथवा ज्ञापन सौंपा गया था। इससे संघर्ष समिति अध्यक्ष योगेंद्र कपिला की मौजूदगी में शनिवार को हुई बैठक में उपाध्यक्ष से मिलने का निर्णय लिए जाने के साथ-साथ रेणुका डैम प्रोजेक्ट आफिस जिला प्रशासन व हिमाचल सरकार को MPAF card, पुनर्वास, 1000 करोड़ के मुआवजे का विस्तृत विवरण व रोजगार जैसी मांगों की अनदेखी होने पर आंदोलन तेज करने की भी चेतावनी दी गई थी।
उपायुक्त ने विस्थापितों को अपने दावे व आक्षेप पेश करने का नोटिस दिया
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27, दिसंबर 2021 को करीब 7000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किए जाने के बाद इस पर करीब डेढ़ हजार करोड़ का भारी भरकम बजट खर्च हो चुका है, मगर धेले भर का भी वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है। गत 2, मई को सरकार शिव प्रताप शुक्ल द्वारा अरबों का Budget खर्च होने के बावजूद लंबित Renukaji Dam Project का site visit किया जा चुका है और HPPCL, बांध प्रबंधन व सिरमौर District Administration को 5 साल की तय अवधि में Project complete करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। राज्यपाल के निर्देशों के बाद हरकत में आए उपायुक्त ने विस्थापितों को अपने दावे व आक्षेप पेश करने का नोटिस दिया है। 7000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर करीब डेढ़ हजार करोड़ ₹ की राशि खर्च होने के बावजूद अब भी वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है।
विस्थापित संघर्ष समिति बांध निर्माण संबंधी कार्य रोकने का ऐलान कर चुकी है
मांगे पूरी न होने तक विस्थापित संघर्ष समिति बांध निर्माण संबंधी कार्य रोकने का ऐलान कर चुकी है और इस साल अब तक फारेस्ट लैंड के पेड़ो को गिनने गई डैम मैनेजमेंट की टीम को 3 बार खदेड़ चुकी है । विभाग के अनुसार डैम से 41 गांव तथा 7,000 की आबादी प्रभावित होगी। महज 40 मेगावाट की इस परियोजना के लिए 90% बजट केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है और संभवतः इसीलिए अरबों का बजट खर्च होने के बावजूद काम शुरू न होने के लिए हिमाचल सरकार गंभीर नहीं है। करीब 26 KM लंबे इस बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन सडक की वैकल्पिक सड़क के लिए भी ऊर्जा एवं बहुउद्देशीय परियोजना विभाग से बजट मिलना शेष है, हालांकि डीपीआर बनाने के लिए ExEn PWD संगड़ाह को कुछ राशि जारी की जा चुकी है।
गर्मियों में नदी का डिस्चार्ज अथवा जल स्तर महज 5 क्युमेक्स के करीब रहता है
राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना से दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्यों को लगातार 23 क्युमेक्स पीने योग्य पानी उपलब्ध करवाना भी जानकार संभव नहीं बता रहे हैं, क्योंकि गर्मियों में नदी का डिस्चार्ज अथवा जल स्तर महज 5 क्युमेक्स के करीब रहता है। ऐसे में परियोजना के अधिकारियों व Engeneers के अनुसार बरसात में reservoir में इकट्ठा होने वाला बरसात अथवा बाढ़ का पानी कई दिनों तक सपलाई किया जाएगा, हालांकि इस बारे कोई Public Document अब तक जारी नहीं किया गया। गौरतलब है कि, 1960 के दशक में 60 MW की गिरी विद्युत परियोजना के साथ ही रेणुकाजी बांध का सर्वेक्षण भी शुरू हो गया था, मगर 2021 तक जहां Budget व राजनीतिक इच्छाशक्ति व धन के अभाव में जहां राष्ट्रीय महत्व की यह परियोजना नेताओं के भाषणों तक सीमित रही, वहीं अब प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किए जाने के बावजूद विस्थापितों का विरोध व राज्य सरकार अथवा HPPCL की लापरवाही इसके लटकने के मुख्य कारण समझे जा रहे हैं।
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