राज्य विधानसभा में विधायक भवानी सिंह पठानिया ने मनोरोग संबंधी गैर सरकारी संकल्प प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री कर्नल Dhaniram Shandil ने बताया कि प्रदेश में मेंटल हेल्थ पॉलिसी को सख्ती से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मनोरोग केस सामने आ रहे हैं और रोगियों की काउंसलिंग हेतु आधारभूत ढांचा विकसित किया जाएगा। ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में साइकेट्रिस्ट्स को तैनाती किया जेगा और साथ आवश्यक दवाओं की लिस्ट में मानसिक रोग की दवाइयां भी शामिल की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री Dhaniram Shandil ने कहा प्रदेश में साइकेट्रिस्ट्स के पदों पर होगी भर्ती
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में आदर्श नशा निवारण केंद्र खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि काउंसलिंग को एक विषय बनाया जाना चाहिए और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को इसके बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है। Dhaniram Shandil ने कहा कि आत्महत्या के मामले काफी चिंताजनक हैं और टांडा मेडिकल कॉलेज में मानसिक रोग अस्पताल को मजबूत बनाने की जरूरत है। अस्पतालों में साइकेट्रिस्ट्स के रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी।
इस दौरान विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि यह एक गंभीर विषय है और एक पूर्व सांसद भी मनोरोग के शिकार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस वातावरण में बच्चे रहते हैं, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आजकल के बच्चे मोबाइल फ़ोन में व्यस्त रहते हैं, जिस पर माता-पिता को ध्यान देने की ज़रूरत है। वहीं भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि संस्कार न देने के लिए माता-पिता जिम्मेदार होते हैं। युवाओं को कौन गलत शिक्षा दे रहा है, इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
देश में मानसिक रोगियों की बढ़ रही संख्या
कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया के मुताबिक देश में मनोरोग पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है और हिमाचल भी इससे अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में प्रत्येक 5 में से 1 व्यक्ति मानसिक बीमारी का शिकार है और इस हिसाब से हिमाचल प्रदेश में करीब 15 लाख लोग एवं विधानसभा में 15 से 16 सदस्य मनोरोग का शिकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा यह एक गंभीर समस्या है और इससे निपटने हेतु सरकार को बुनियादी ढांचे में सुधार लाने और और नीति बनाने की ज़रूरत है।