रामेश्वरम, तमिलनाडु : अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एवं भगवा ऐप के तत्वावधान में आयोजित महासंगम यात्रा अब तक 10,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक स्थलों के दर्शन करना नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करना, युवाओं को आध्यात्मिकता और संस्कारों से जोड़ना, तथा प्राचीन मंदिरों के रखरखाव और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है।
रामेश्वरम में महासंगम यात्रा की गतिविधियाँ और पूजा ध्यान अर्चना
रामेश्वरम में यात्रा के इस चरण में भक्तों ने धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लिया। भक्तों ने 22 पवित्र कुंडों में स्नान किया, जिससे उन्हें शुद्धि और दिव्यता की अनुभूति मिली। इसके बाद, भक्तों ने समुद्र तट पर जलाभिषेक किया और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया।सर्व प्रथम रामेश्वरम के समुद्र तट पर जलाभिषेक करते हुए भक्तों ने भगवान शिव को समर्पित जल चढ़ाया, जिससे उन्होंने शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति की। इसके साथ ही भक्तों ने रामेश्वरम में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए, जो हिन्दू धर्म के पवित्रतम तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ का वातावरण भक्तों को ध्यान और साधना में निमग्न कर देता है। यात्रा के इस हिस्से में भक्तों ने ध्यान और पूजा की प्रक्रिया को बड़े श्रद्धा भाव से निभाया। ध्यान में एकाग्रता और शांति की प्राप्ति के साथ साथ उन्होंने आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया। इसी दौरान रामेश्वरम में महासंगम यात्रा के भक्तों ने 22 पवित्र कुंडों में स्नान किया, समुद्र तट पर जलाभिषेक किया।
अध्यात्म गुरु सद्गुरु के आश्रम ईशा फाउंडेशन का किया भ्रमण
इस यात्रा के दौरान यात्रा me शामिल भक्तो ने ISHA Foundation का भी दौरा किया गया, जहाँ भक्तों ने ध्यान, साधना और आत्मिक उन्नति के विषय में गहन चर्चा की। यहाँ पर आयोजित विशेष ध्यान सत्रों ने भक्तों को मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और आध्यात्मिक प्रगति की ओर मार्गदर्शन किया। ISHA Foundation के समर्पित साधकों द्वारा दिए गए प्रेरणादायक प्रवचन और योग अभ्यास ने भक्तों को न केवल अपने भीतर की ऊर्जा को महसूस करने का अवसर दिया, बल्कि उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य और आंतरिक शांति की ओर एक नई दिशा दिखाई। इस पहल ने यात्रा के धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्य को और अधिक सशक्त किया, जिससे यात्रा का अनुभव और भी गहरे आध्यात्मिक स्तर पर पहुंचा। इस दौरान भक्तों ने जीवन के वास्तविक अर्थ और आध्यात्मिक ज्ञान की गहरी समझ प्राप्त की, जो इस यात्रा को केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पुनर्निर्माण का सफर बना दिया।
महासंगम यात्रा: अब तक का सफर
23 जनवरी 2025 को दिल्ली से शुरू हुई यह ऐतिहासिक यात्रा अब तक कई प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा कर चुकी है। इस दौरान, भक्तों ने प्रयागराज महाकुंभ में स्नान कर यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद यह यात्रा बाबा बैद्यनाथ धाम (झारखंड), लिंगराज मंदिर (ओडिशा), द्राक्षरामम (आंध्र प्रदेश), अमर लिंगेश्वर स्वामी मंदिर (आंध्र प्रदेश) , दक्षिण काशी श्रीशैल मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश) और वेल्लोर (तमिलनाडु) स्थित जलाकंडेश्वर मंदिर से होते हुए अब रामेश्वरम पहुँची है। हर स्थान पर स्थानीय श्रद्धालुओं, धार्मिक संस्थानों और इंजीनियरिंग व MBA कॉलेजों के छात्रों ने यात्रा का स्वागत किया।
युवाओं की भागीदारी: MBA और इंजीनियरिंग छात्रों की ऐतिहासिक भूमिका
इस यात्रा में देशभर के MBA और इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। हर पड़ाव पर युवा यात्रा का स्वागत कर रहे हैं, मंदिरों के रखरखाव में योगदान दे रहे हैं और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
IMPC के राष्ट्रीय महामंत्री और AVPL इंटरनेशनल के चेयरमैन श्री दीप सिहाग सिसाय ने कहा: “महासंगम यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत की युवा पीढ़ी को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का माध्यम है। MBA और इंजीनियरिंग के छात्र इस यात्रा में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि आध्यात्मिकता और आधुनिकता एक साथ चल सकती हैं। हम चाहते हैं कि मंदिर सिर्फ पूजा के स्थान ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, संस्कार और सांस्कृतिक शिक्षा के केंद्र बनें।”
IMPC के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेश यादव ने कहा: “आज का युवा भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। महासंगम यात्रा के माध्यम से हम मंदिरों के डिजिटलीकरण, रखरखाव और स्वच्छता की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं।”
IMPC: मंदिरों का संरक्षण और डिजिटलीकरण
IMPC (अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद) का उद्देश्य भारत के प्राचीन मंदिरों का संरक्षण और उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ना है। इसके तहत:
• मंदिरों की जानकारी और ऑनलाइन दर्शन की सुविधा के लिए भगवा ऐप को बढ़ावा दिया जा रहा है।
• मंदिरों में पूजा सामग्री उपलब्ध कराने वाले दुकानदारों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।
• डिजिटल टूरिज्म के माध्यम से मंदिरों को विश्व स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है।
• मंदिरों की सफाई और सुरक्षा के लिए 1 लाख वॉलंटियर जोड़े जा रहे हैं, जिन्हें मंदिरों के रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
IMPC का मानना है कि मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि समाज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र भी हैं। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए महासंगम यात्रा एक नए आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन रही है।
अगला पड़ाव: कोयंबटूर का आदियोगी मंदिर
रामेश्वरम में दर्शन के बाद, महासंगम यात्रा अब कोयंबटूर स्थित आदियोगी मंदिर की ओर बढ़ेगी। यहाँ भक्त ध्यान और योग के माध्यम से एक और दिव्य अनुभव प्राप्त करेंगे। इसके बाद यात्रा बेंगलुरु और फिर हम्पी के विरुपाक्ष मंदिर की ओर प्रस्थान करेगी।
समाप्ति:
महासंगम यात्रा केवल धर्म और आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने, मंदिरों को संरक्षित करने और आध्यात्मिकता को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का एक क्रांतिकारी प्रयास है। IMPC और भगवा ऐप इस ऐतिहासिक पहल को और आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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