सोमनाथ, अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद् एवं भगवा ऐप द्वारा आयोजित महासंगम यात्रा आज सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुँच गई है, मह्संगम यात्रा ने अपने प्राचीन और पवित्र स्थलों के प्रति श्रद्धा और आस्था का अद्वितीय उदाहरण पेश किया है। इस ऐतिहासिक आयोजन में, भक्तों ने अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मंदिर में प्रवेश किया, जहां व्यापक पूजा-पाठ, विशेष जलाभिषेक एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए गए।
जानकारी देते हुए अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद् के राष्ट्रिय महामंत्री श्री दी सिहाग सिसाय ने बताया कि सोमनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा और पुनर्निर्मित किया गया. ये एक भारत की प्राचीन धरोहर है जोकि सदियों से अपने अस्तित्व को सहेज कर रखने में सफल हो पाया है ये भोले नाथ की ही लीला हैं ।” वही इस बारें में अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश यादव ने कहा कि “सोमनाथ मंदिर में आज के प्रवेश ने हमारे प्राचीन धरोहर और सनातन परंपरा की पुनर्स्थापना का संदेश फिर से जीवंत कर दिया है। भक्तों के अनुभव और हमारे प्रयास इस बात का प्रमाण हैं कि हमारा धर्म केवल इतिहास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज के आधुनिक युग में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।”
आपको बता दें सोमनाथ मन्दिर जिसे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, गुजरात (सौराष्ट्र) के काठियावाड़ क्षेत्र के अन्तर्गत प्रभास में विराजमान हैं. यहीं भगवान् श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था. इतिहास में कई बार विनाश के बाद पुनर्निर्माण का अद्भुत उदाहरण पेश करने वाला यह मंदिर आज भी भक्तों के मन में अद्वितीय स्थान रखता है। आज के इस आयोजन में, मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए गहन पूजा-अर्चना की, जिसमें मंत्रोच्चारण, दीप प्रज्वलन और विशेष जलाभिषेक शामिल रहे। इसके अलावा यात्रा के साथ चल रहें 12 त्रिशूलों का भी पूजन किया गया। आपको बता दें महाकुंभ प्रयागराज में स्तिथ महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद सरस्वती जी के आश्रम में 108 त्रिशूलों का पूजन 108 पंडितों द्वारा सुबह और सायं किया जा रहा है, यह पूजन 30 दिन की इस यात्रा के दौरान लगातार जारी रहेगा। इसके बाद इन त्रिशुलों को मंदिरों में स्थापित किया जायेगा।
प्राचीन स्थलों का दिव्य अनुभव:
महासंगम यात्रा के दौरान, भक्तों ने न केवल सोमनाथ मंदिर का दिव्य दर्शन किया, बल्कि अन्य प्राचीन तीर्थस्थलों से भी प्रेरणा प्राप्त की। सूर्यपुत्री ताप्ती माता, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर और कई अन्य पावन स्थलों का दर्शन कर, भक्तों ने अपने जीवन में सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन धरोहरों के महत्व को महसूस किया। इन स्थलों की प्राचीन कथाएँ और इतिहास आज भी भक्तों के दिलों में श्रद्धा के साथ जी रहे हैं।
यात्रा का उद्देश्य और प्राचीन धरोहर का डिजिटलकरण
आपको बता दें कि इस महान मह्संगम यात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म के पुनर्जागरण के साथ-साथ मंदिरों और पुजारियों को डिजिटल की दुनियां से जोड़ना है, मंदिरों के आधुनिकीकरण, धरोहर संरक्षण और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देना है। अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद (IMPC) एवं भगवा ऐप के सहयोग से आयोजित यह यात्रा, भक्तों को न केवल प्राचीन धार्मिक परंपराओं से जोड़ती है, बल्कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से उन्हें ऑनलाइन पूजा, आरती एवं अन्य धार्मिक गतिविधियों का सुविधाजनक मंच भी प्रदान करती है। भगवा ऐप के जरिए भक्त अब मोबाइल उपकरणों के माध्यम से भी अपने धार्मिक अनुष्ठानों का आनंद ले सकते हैं।
यात्रा में अब तक का सफर
इस 30 दिनों तक चलने वाली यात्रा ने अब तक 19 दिन पुरे कर लियें है, यात्रा ने अब तक 17 दिनों में 3,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर ली है, जिसमें अनेकों पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन किए गए और हजारों श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लेकर अपनी आस्था प्रकट की। यात्रा की शुरुआत प्रयागराज महाकुंभ से हुई, जहाँ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान कर इसे ऐतिहासिक स्वरूप दिया। इसके पश्चात यात्रा काशी विश्वनाथ धाम पहुँची, जहाँ भगवान शिव के चरणों में भक्तों ने अपने संकल्प को और दृढ़ किया। वहाँ से यात्रा बाबा बैद्यनाथ धाम (झारखंड), लिंगराज मंदिर (ओडिशा), द्राक्षारामम एवं अमर लिंगेश्वर स्वामी मंदिर (आंध्र प्रदेश), श्रीशैल मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जलाकंडेश्वर मंदिर (वेल्लोर, तमिलनाडु) और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक पहुँची। अब यह पवित्र यात्रा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने के पश्चात नासिक में त्र्यन्म्बकेश्वर मंदिर me दर्शन कर सूरत के तापी नदी के तट पर पहुची यहाँ से यात्रा आज सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु सोमनाथ पहुँची है। इसके बाद यात्रा 13 फरवरी को अहमदाबाद पहुचेगी अहमदाबाद, इसके बाद यात्रा उज्जैन, ओंकारेश्वर, मथुरा, वृंदावन, हरिद्वार, ऋषिकेश और उखीमठ होते हुए 21 फरवरी 2025 को दिल्ली में संपन्न होगी। विदित हो की यात्रा के दौरान मार्ग में पड़ने वाले प्रत्येक मंदिर और नदियों पर पूजा अर्चना भी की भी लगातार की जा रही है.
