हर बार अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस बार भी कल यानि 3 अक्टूम्बर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान पूरे माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूरे विधि विधान के साथ में पूजा की जाती है इसके साथ ही माँ दुर्गा के लिए व्रत भी रखा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसके साथ ही आपको बता दे, शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के सभी काम पूर्ण होते है इसके साथ ही सुख और सौभग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जान लेते है, नवरात्रि के दौरान पूजा, विधि और मंत्र के बारे में जान लेते है।
मां का स्वरूप
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु हैं। अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। वही मां के मुखमंडल पर कांतिमय तेज है। इस तेज से तीनों लोकों का कल्याण होता है। मां दो भुजाधारी हैं। एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में पुष्प धारण कर रखी हैं। मां की सवारी वृषभ यानि की बैल होता है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन दोनों शुभ योग में घटस्थापना कर मां शैलपुत्रीकी पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर अपने घर में साफ सफाई करे इसके साथ ही गंगा जल का छिड़काव करे। दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नान करे। और व्रत करने का संकल्प ले। इसके बाद लाल रंग के कपड़े धारण करे। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे। इसके बाद पूजा घर में चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र और कलश स्थापित करें।
