Shiv Bhagwan: हमारे हिंदू धर्म के अनुसार शिवजी को अविनाशी के नाम से बुलाया जाता है। इसका अर्थ यह होता है कि शिव जी ना तो आदि है नहीं उनका अंत हो सकता है। यह तो आप सभी जानते हैं कि शिवजी का मन अत्यंत कोमल और सरल है। यहां तक कि इनका रहन-सहन भी बाकी देवी-देवताओं से बिल्कुल अलग है। हमारे शास्त्रों में शिव जी के बारे में कुछ लिखा गया है, जिसमें बताया गया है कि शिवजी हिरण की खाल लपेटे हुए हैं और शरीर पर भस्म लगाए हुए हैं। हम आपको बताएंगे कि भस्म क्या होता है और शंकर भगवान की चिता की भस्म अपने शरीर पर लगाते हैं।

शास्त्रों में ऐसा लिखा गया है कि भगवान शिव चिता की भस्म को वस्त्र की तरह अपने शरीर पर धारण करते हैं। आप सभी जानते हैं कि भस्म का अर्थ होता है राख। इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी है। भोलेनाथ का भस्म लगाने का अर्थ यह भी हो सकता है कि हमें 1 दिन इस पूरे शरीर को भस्म होने देना है।
पुरानी कथाओं में ऐसा लिखा गया है कि एक बार लोग राम नाम कहते हुए शव लेकर जा रहे थे, तो शंकर भगवान ने देखा कि वह लोग उनके राम का नाम लिए जा रहे हैं। इसलिए शिवजी भी शमशान पहुंचे और सब के जाने के बाद भगवान राम को याद करते हुए चिता की राख को अपने शरीर पर लगा लिया।

वहीं दूसरी और यह भी कहा है कि जब माता सती की मृत्यु हो गई थी। उस दौरान भगवान शिव तांडव कर रहे थे। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के पूरे शरीर को भस्म कर दिया था। तब शिवजी सती के वियोग का दर्द बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने उसी समय सती की भस्म को अपने तन पर लगा लिया।
Shiv Bhagwan: वैज्ञानिक कारण:
यह तो आप सभी जानते हैं कि अघोरी, संत, साधु सभी अपने शरीर पर भस्म लगाया करते हैं। अगर हम वैज्ञानिक कारण देखे तो ऐसा कहा जाता है कि भस्म लगाने से हमारे रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। यहां तक कि शरीर को ना तो गर्मी लगती है और ना ही सर्दी लगती है। भस्म लगाने से शरीर का उपचार भी हो जाता है।


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