केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वदेशी शोध संसथान के विजन ऑफ भारत 2047 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को शुक्रवार जी वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया है उनका कहना है कि भारत महान था, महान है और महान ही रहेगा। हमारा राष्ट्र अत्यंत प्राचीन और महान है. समृद्धि के पैमाने भी अलग-अलग होते हैं सिर्फ आर्थिक रूप से संपन्नता को समृद्धि नहीं माना जाता है। हमारा इतिहास बहुत पुराना है, 5 हजार साल से अधिक के इतिहास से आज भी हम लोगों को अवगत करवाते है। उन्होंने प्रचीन काल के कई उदाहरण देते हुए कहा कि जब पश्चिम के लोग अपने शरीर को पत्तों और छालों से ढ़का करते थे तो हमारे यहां मलमल बन गया था। हमारे ऋषियों ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् यानी सारी दुनिया एक परिवार है। वही शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित, गौरवशाली, वैभवशाली, संपन्न, समृद्ध और शक्तिशाली भारत के निर्माण का महाभियान चला हुआ है।
कभी करते थे अनाज का आयत
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि हम कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि एक समय था जब हम अपनी जनता का पेट भरने के लिए अमेरिका से निम्न स्तर का गेहूं लेने के लिए मजबूर थे लेकिन आज देश में अन्न के भंडार भर हुऐ हैं। हमारा शरबती गेहूं आज दुनिया में धूम मचा रहा है। हमारे खाद्यान्न का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बावजूद, बढ़ते हुए तापमान और अनिश्चित मौसम के बावजूद भी हमने देश के खाद्यान्न को ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि अपनी जनता का पेट भी भरा है। इसके साथ ही कई देशों को अन्न का निर्यात भी किया है।
किसानों को मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग
केंद्रीय मंत्री चौहान ने ख़ुशी जाहिर करते हुए बताया कि एक करोड़ किसानों को सेनसेंटाइज किया जा रहा है, वही प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है वही हम लगभग 1500 क्लस्टर में साढ़े सात लाख किसानों तक प्राकृतिक खेती को ले जाएं ताकि ये किसान अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती शुरू कर देती है। हम सभी को धरती को भी कीटनाशकों से बचना होगा। वही कीटनाशकों के कारण कई पक्षियों का नामोनिशान ही मिट गया है और नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं।
विकास के साथ पर्यावरण की चिंता भी जरूरी
उनका कहना है कि मानवीय गुणों के साथ ही सबका विकास है। उन्होंने जोर देते हुए कहना है कि पर्यावरण की भी चिंता की जाए। वही प्रकृति का दोहन करें ना कि शोषण करें। इसके साथ ही विकसित देशों की तुलना में भारत केवल 7 प्रतिशत कार्बन उर्त्सजन करता है। भारत में प्रकृति की भी पूजा की जाती है। इसका ध्यान हमें रखना है। वही प्रकृति का संरक्षण करते हुए ही विकास करना है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी जल्दी ही बनने वाली है। हम अपना विकास भी करेंगे और दुनिया को भी राह दिखाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने संबोधन के अंत में कहा कि जिस दिशा में हम बढ़ रहे हैं विश्व शांति का कोई दर्शन अगर कराएगा तो वह भारत ही कराएगा। ऐसे भारत के निर्माण में हम सब सहयोगी बनें।
