संसद ने गुरुवार को एक विधेयक पारित किया जिसका उद्देश्य सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण लेने की अनुमति देना और उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी-मुक्त मार्ग प्रदान करना है।
दूरसंचार बिल, 2023 को राज्यसभा ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी। बुधवार को संक्षिप्त बहस के बाद इसे लोकसभा ने पारित कर दिया।
विधेयक का उद्देश्य सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में दूरसंचार सेवाओं पर अस्थायी रूप से नियंत्रण करने की अनुमति देना और उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी-मुक्त मार्ग प्रदान करना है।
यह केंद्र को सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में दूरसंचार नेटवर्क पर कब्ज़ा करने की भी अनुमति देता है।
इसके अलावा, यह सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में, सार्वजनिक हित में, किसी अपराध के लिए उकसावे को रोकने के लिए संदेशों के प्रसारण और अवरोधन को रोकने का प्रावधान करता है।
विधेयक के अनुसार, केंद्र या राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के प्रेस संदेशों को तभी रोका या हिरासत में लिया जाएगा, जब उनका प्रसारण लागू सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक व्यवस्था नियमों के तहत प्रतिबंधित किया गया हो।
बहस का जवाब देते हुए संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव कहा कि दूरसंचार विधेयक 2023 को औपनिवेशिक युग के दो कानूनों को बदलने के लिए नए भारत की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा, “पिछले साढ़े नौ वर्षों में, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र घोटालों के बेहद कठिन दौर से निकलकर एक उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इसी अवधि के दौरान, दूरसंचार टावरों की संख्या 2014 में केवल 6 लाख से बढ़कर वर्तमान में 25 लाख हो गई है, और ब्रॉडबैंड इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या पहले के केवल 1.5 करोड़ की तुलना में आज 85 करोड़ हो गई है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अधिकतम भारतीय निर्मित उपकरणों के साथ 5जी तकनीक की दुनिया में सबसे तेज तैनाती हासिल की है।
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