Himachal Election 2022: हिमाचल प्रदेश में चुनावी माहौल गर्म है और वहां पर कुछ ही समय में चुनाव होने वाले हैं सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है लेकिन सभी पार्टियों के असंतुष्ट नेता उनके अधिकृत प्रत्याशियों के जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं खास तौर से सिरमौर में यहां पर क्या भाजपा और क्या आप सभी पार्टियों से असंतुष्ट नेता है.
Himachal Election 2022: असंतुष्ट नेता
बात की जाए आप की तो जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी मनीष ठाकुर हैं और यहां पर आम आदमी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने उतरे अनिंदर सिंह नाटी भी एक मजबूत प्रत्याशी हैं जो की आप के प्रत्याशी मनीष ठाकुर का खेल बिगड़ सकते है.
पांवटा साहिब में सबसे ज्यादा असंतुष्ट नेता भाजपा से है यहां पर भाजपा से निष्कासित पूर्व मंडल महासचिव मनीष तोमर ने निर्दलीय तौर पर नामांकन भरा है जो की यहां पर अपना मजबूत जनाधार रखते है जबकि भाजपा के असंतुष्ट सुनील चौधरी तथा रोशन लाल शास्त्री ने भी भाजपा के प्रत्याशी सुखराम चौधरी के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतर भाजपा को संकट में डाल दिया है.
वहीं बात करे कांग्रेस की तो यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी करनेश जंग की तो उन्हें भी चुनाव में अपनो से दो दो हाथ करने पड़ सकते हैं क्योंकि टिकट की जंग में पूर्व विधायक सरदार रतन सिंह के पौत्र हरप्रीत सिंह रतन व अवनीत सिंह लांबा दौड़ में थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला है अब देखना होगा की कांग्रेस इन्हें माना पाती है की नही.
Himachal Election 2022: गंगूराम मुसाफिर बिगाड़ सकते है दयाल प्यारी का खेल
वहीं पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे गंगूराम मुसाफिर ने निर्दलीय तौर पर नामांकन भरा है क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने उन्हें वहां से प्रत्याशी ने चुनकर दयाल प्यारी कश्यप को प्रत्याशी चुना है वही देखा जाए तो गूंगा राम मुसाफिर का यहां से काफी मजबूत जनाधार रहा है अब लग रहा है कि गंगूराम मुसाफिर यहां से दयाल प्यारी कश्यप को कड़ी चुनौती देंगे और उनका पूरा जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं नामांकन के दौरान भी गंगूराम मुसाफिर ने शक्ति प्रदर्शन किया था।
इसके साथ ही यहां पर भाजपा में भी अंदर की राजनीति हो सकती है और इसकी पूरी सम्भावना है। नाहन विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच वर्ष में विधायक डा. राजीव बिंदल ने विकास तो करवाया है, मगर उन्हें कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की अंदर की राजनीति का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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