Vijay Thakur/Himachal Pradesh
Mahatma Buddha: सामाजिक संगठन “यूथ डेवलपमेंट सेंटर” द्वारा राजकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय धर्मशाला में “बौद्ध कला एवं संस्कृति“ सरंक्षण योज़ना के श्रव्य-दृश्य कार्यक्रम अधीन “पुनर्जागरण के अग्रदूत महात्मा बुद्ध” के जीवन पर आधारित नाटक का प्रभावशाली मंचन कर स्वस्थ एवं संस्कारित समाज के निर्माण का प्रयास किया गया ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए प्रिंसिपल आरती वर्मा ने कहा कि समाज में फैली विकृतियों को मानवीय मूल्यों, आदर्शों व संवेदनशीलता से जोड़ना होगा। टीवी व सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही अपसंस्कृति पर अंकुश लगाना भी आवश्यक है। शिक्षा का लक्ष्य बेहतर इनसान तैयार करना होना चाहिए। संवेदनशील व उदार व्यक्ति वर्तमान परिदृश्य को बदलने में सक्षम होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज में सामंजस्य, समन्वय, सद्भाव, सेवा, समर्पण व त्याग की भावनाएं विकसित होनी चाहिए। इसके लिए व्यवस्था, शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी व सद्भावनाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
सांस्कृतिक प्रेरक मीना ने कहा कि बुद्ध के वचनों से कुख्यात डाकू अंगुलिमाल के अंदर करुणा का भाव जाग गया। बुद्ध ने उसको अपना शिष्य बना लिया। अब अंगुलिमाल गांव में रहकर लोगों की सेवा करता। आगे चलकर यही अंगुलिमाल बहुत बड़ा संन्यासी बना और अहिंसक नाम से जाना जाने लगा।इस अवसर पर सेंटर के निर्देशक कर्ण भूषण ने वताया कि भारतीय संतो एवं महात्माओं के विचारों को अपनाकर जीवन को सफल वनाया जा सकता है । इस अवसर पर एसोसिएट प्रोफ़ेसर युगराज सिंह,डॉ.चारू शर्मा,डा. अनूप कुमार,अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर बबिता चम्बयाल,अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर मनोज कुमार, अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर अतुल आदि भी उपस्थित रहे I
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