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आशुतोष तिवारी/रीवा: शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रीवा की जोंक पद्धति चिकित्सा काफी मशहूर है. यहां कई बीमारियों का इलाज जोंक पद्धति के द्वारा किया जाता है. कई गंभीर मरीजों को भी यहां की मशहूर जोंक पद्धति के द्वारा ठीक किया जा चुका है. जोंक पद्धति लगाकर मरीजों के हार्ट ब्लॉकेज को खोल रही है. कई ऐसे भी मरीजों को यहां बेहतर उपचार मिला है, जिन्हें बड़े अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज से मना कर दिया था. उनके हाथ पैर तक काटने की नौबत आ गई थी, लेकिन जोंक पद्धति ने बचा लिया.
इस थेरेपी में नहीं है कोई साइड इफेक्ट
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रीवा के डीन और शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. दीपक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यह पद्धति उन मरीजों के लिए ज्यादा कारगर है, जिनमें एंजियोग्राफी के बाद हार्ट में ब्लॉकेज की स्थिति सामने आती है. इसके अलावा सीढ़ी चढ़ने पर अगर सांस फूलती है तो यह पद्धति अपनाई जाती है. जब कभी इन्फेक्शन की वजह से हाथ पैर काटने की नौबत आ जाती है, तब भी इस थेरेपी को अपनाया जाता है. खास बात यह कि जोंक पद्धति में कोई साइड इफेक्ट नहीं है. हालांकि, मरीज को पूरी तरह स्वस्थ होने में थोड़ा समय लगता है. कई बार उपचार प्रक्रिया में दो से ज्यादा महीने का समय लग जाता है. प्रत्येक सप्ताह उपचार के लिए मरीज को आयुर्वेद चिकित्सालय बुलाया जाता है. करीब पौन घंटे पांच से छह जोंक को शरीर पर लगाया जाता है. इस दौरान मरीज को किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है.
जोंक में पाए जाते हैं 60 प्रकार के केमिकल्स
आयुर्वेद डॉक्टर ने बताया कि जोंक में 60 प्रकार के केमिकल्स पाए जाते हैं. ये केमिकल्स बेहद उपयोगी हैं. जोंक के लार में हिपेरिन नामक केमिकल होता है, जो रक्त संचार के प्रवाह के अवरोध को खोल देता है. डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि दरअसल जब जोंक रक्त चूसता है, तब वह लार छोड़ता है. लार के जरिए हिपेरिन पूरे ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम के अवरोध को दूर कर देता है, जिससे हार्ट के ब्लॉकेज खुल जाते हैं. जोंक का प्रयोग अन्य बीमारियों जैसे माइग्रेन, एक्जिमा, गैंगरिन, मुंहासे को ठीक करने में भी होता रहा है. लेकिन, हिपेरिन केमिकल की वजह से डेढ़ साल पहले हार्ट के मरीजों पर भी हमने प्रयोग किया है. पहले मरीज में जब यह प्रयोग सफल रहा तो इसके बाद हमने सात और मरीजों पर जोंक पद्धति का ट्रायल किया, वे मरीज भी पहले से स्वस्थ हैं.
नागपुर से मंगाए जाते हैं जोंक
डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जोंक पद्धति की तैयारी अच्छे से की जाती है. इलाज के नागपुर से जोंक मंगाए जाते हैं. इसके बाद ये जोंक आयुर्वेद चिकित्सालय में सुरक्षित रखे जाते हैं. एक बार में एक हार्ट ब्लॉकेज के मरीज को पांच से छह जोंक सीने में लगाए जाते हैं. मुंहासे और माइग्रेन के लिए मुंह और सिर में जोंक लगाए जाते हैं. इस तरह से जोंक पद्धति से इलाज किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 08:01 IST
