जैसा कि आप जानते हैं हाल ही में हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव हुए थे, जिस दौरान प्रदेश के सियासी गलियारों में भूचाल सा आ गया। दरअसल चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ Sukhu Sarkar के विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन ने बाजी मार ली है। चुनाव में पार्टी के 6 विधायकों ने बगावत कर दी जिसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर संशय के बादल छाने लगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें सरकार बचाने के लिए पार्टी द्वारा पर्यवेक्षकों को शिमला भेजा गया है।
जो नाराज विधायकों को मनाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उत्तर भारत के इकलौते राज्य को पार्टी के हाथों से फिसलने से बचाया जा सके। आपको बता दें कांग्रेस ने डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पर्यवेक्षक बनाकर शिमला भेजा है। बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बीजेपी के 15 विधायकों को स्पीकर ने सस्पेंड कर दिया। इसके बाद बजट पास करवाकर विश्वास मत हासिल करके विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे Sukhu Sarkar को 90 दिनों का जीवनदान मिल गया है।
अब भी खतरे में है Sukhu Sarkar
हालांकि, सवाल उठता है कि क्या बजट पास करा लेने से Sukhu Sarkar के सर से संकट हट गया है? जानकारी के मुताबिक विधायकों द्वारा सुक्खू के इस्तीफे की मांग की जा रही है। ऐसे में कांग्रेस दल बदल के ऐसे दलदल में फंसी हुई है, जहां उसे सुक्खू या सरकार दोनों में से किसी एक को बचाना होगा। आपको बता दें कांग्रेस द्वारा राज्यसभा चुनाव में बगावत करने वाले 6 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला स्पीकर के पास सुरक्षित रखवा लिया गया है।
इन दो कारणों से अभी संकट में सरकार
लेकिन अभी भी Sukhu Sarkar पर संकट के बादल छाए हुए हैं, जिसके दो कारण हैं। पहला कारण है कि चुनाव में बगावत करने वाले 6 विधायक BJP की तरफ जाते नज़र आ रहे हैं। बागी विधायकों द्वारा विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर से मुलाकात भी की गई। क्रॉस वोटिंग करने वाले एक विधायक ने खुले आम कहा कि वह बीजेपी के साथ हैं। वहीं दूसरी वजह विक्रमादित्य सिंह द्वारा किया गया इस्तीफे का एलान है। हालांकि पर्यवेक्षकों के हस्तक्षेप करने के बाद उनके तेवरों में थोड़ी नरमी देखने को मिली है।