90 के दशक से ही सिनेमा हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। समय के साथ-साथ लोगों में Films देखने की रूचि में लगातार इज़ाफ़ा देखने को मिला। आज आपको हर घर में TV देखने को मिल जायेगा और अब तो आप अपने फ़ोन पर भी फिल्मों का आनंद उठा सकते हैं। पहले के ज़माने में हर किसी के पास TV नहीं हुआ करता था, इसलिए लोग पड़ोसियों के यहां जिसके भी घर में TV होता था जाया करते थे। इसके बाद धीरे-धीरे थिएटर में फिल्में देखने का कल्चर बढ़ने लगा और अब लोग बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स में फ़िल्में देखने जाते हैं।
आजकल लोगों में Films देखने का क्रेज इतना बढ़ गया है कि वह इसके अपने जरूरी कामों को भी छोड़ देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बहुत ज्यादा फ़िल्में देखने से क्या होता है और इसका हमारे दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ता है। आपको बता दें फिल्मों में काफी ताकत होती है और यह चीज़ों को लेकर हमारा नज़रिया बदल सकती हैं। कुछ लोगों को फिल्में देखने से एक नई ऊर्जा का अनुभव होता है, तो वहीं कुछ लोग इनमें अपनी पुरानी यादों को खोजते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि बहुत अधिक Films देखने से आपके दिमाग पर इसका क्या असर पड़ता है और इसके क्या-क्या फायदे और नुकसान हैं।
क्या Films देखने से कम होता है तनाव?
साल 2016 में सामने आई एक स्टडी के मुताबिक कॉमेडी तनाव को कम कर सकती है। अगर आप कोई फैमिली या कॉमेडी फिल्म देख रहे हैं, तो यह आपका तनाव कम करने में सहायक होती है। जब आप खुश होते हैं, तो शरीर में Epinephrine और Cortisol का लेवल कम होने से तनाव घटता है। हालाँकि कुछ फ़िल्में ऐसी भी होती हैं, जिन्हे देखने के बाद आपका तनाव बढ़ भी सकता है। हॉरर या क्राइम मूवी आपके तनाव को बढ़ा सकती हैं, यही कारण है कि कुछ फिल्मों में बीपी या हार्ट के मरीजों के लिए चेतावनी भी लिखी होती है। ऐसे में कह सकते हैं कि फिल्मों का हमारे जीवन पर अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़ता है।
फिल्में देखने के फायदे
– कॉमेडी फिल्में किसी लाफ्टर थेरेपी कि तरह काम करती हैं और इन्हे देखकर आप खुशी महसूस करते हैं।
– कुछ फ़िल्में आपको अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
– फिल्में देखने से मन शांत रहता है और आप रिलैक्स महसूस करते हैं, जो आपकी एकाग्रता बढ़ता है।
फिल्में देखने के नुकसान
– कई क्राइम केस में इस बात का खुलासा हुआ है कि अपराधी फ़िल्में देखकर अपराध करने का तरीका सीखा है।
– कई फिल्मों में काफी वायलेंस और क्राइम देखने को मिला है, जिसे देखकर भय का अनुभव हो सकता है।
– कई लोग होते हैं जो फिल्मों को बहुत अधिक सीरियस ले लेते हैं और अपराध की तरफ रुख कर लेते हैं।
– क्राइम और हॉरर फिल्में देखने से आपको तनाव महसूस हो सकता है। कुछ मामलों में लोग एंग्जाइटी और डिप्रेशन का भी शिकार हुए हैं।
