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सीमा कुमारी@नवभारत
सबके दिलों में बसने और दुखों को दूर करने वाले बाबा ‘खाटू श्याम’ (Khatu Shyam) का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता हैं। इस दिन देवउठनी एकादशी भी होती हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह भी 23 नवंबर को है और इसी दिन श्री खाटू श्याम का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। खाटू श्याम जी के जन्मदिन को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। उन्हें कई तरह के भोग लगाए जाते हैं और उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।
खाटू श्याम भगवान के भक्त मंदिरों में ही नहीं, बल्कि घरों में भी उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन मंदिरों व घरों में कई तरह के आयोजन व भजन, कीर्तन होते हैं। कहते हैं कि, खाटू श्याम के जन्मोत्सव यदि भक्त मंदिर जाकर उनके दर्शन करे तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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धार्मिक मत है कि, खाटू श्याम जी भगवान श्रीकृष्ण का कलयुग अवतार हैं और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उनका जन्म उत्सव मनाया जाता हैं। इस दौरान खाटू श्याम मंदिर के परिसर में भव्य मेला लगता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार खाटू श्याम का सीधा संबंध महाभारत काल से हैं। खाटू श्याम पांडव पुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। इनका असली नाम बर्बरीक था जिन्हें कलियुग में खाटू श्याम के नाम से जाना जाता हैं।
महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक को भगवान कृष्ण ने वरदान दिया था कि वह कलियुग में भगवान श्रीकृष्ण के नाम से पूजे जाएंगे। यह वरदान भगवान कृष्ण ने इसलिए दिया था क्योंकि बर्बरीक ने महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण को अपनी शीश काटकर दान किया था। इसलिए इन्हें शीश दानी भी कहा जाता है। साथ ही महाभारत के युद्ध में बर्बरीक ने हारने वाले दल का पक्ष लिया था और यही वजह है कि इन्हें हारे का सहारा भी कहा जाता है।
