website average bounce rate
Search
Close this search box.

स्वदेशी के मंत्र ने भारत के आर्थिक विकास को नये पंख लगा दिये हैं

Indian Economy Large 1152 23.webp.webp

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Firenib

भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे अधिक तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय वार्ता को संबोधित करते हुए सतत विकास के प्रति देश की प्रतिबद्धता पर बल दिया। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को रेखांकित करते हुए उन्होंने भविष्यवाणी की कि 2027 तक भारत जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत के आर्थिक विकास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वॉकल फोर लॉकल का आह्वान आर्थिक विकास आधार बन रहा है। स्व-भाव एवं स्वदेशी के मंत्र ने आर्थिक विकास को पंख लगाये हैं जिससे अर्थ की गाड़ी तेज रफ्तार से दौड़ने लगी है। भारत की आर्थिक तरक्की दुनिया को स्तंभित करने लगी है, क्योंकि भारत का घरेलू बाजार ही इतना विशाल है कि भारत को विदेशी व्यापार पर बहुत अधिक निर्भरता नहीं करनी पड़ रही है। भारत के बाजार से कई देशों का आर्थिक विकास होता रहा है, अब स्वदेश जागरण से देश का अर्थ देश में ही रहने लगा है।

चीन की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से दौड़ी थी और चीन के आर्थिक विकास में विदेशी व्यापार का सर्वाधिक योगदान था परंतु आज भारत की आर्थिक प्रगति में घरेलू कारकों एवं मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का प्रमुख योगदान है। वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, भारत की आर्थिक वृद्धि केवल 7 प्रतिशत से कम होने का अनुमान है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। सकल घरेलू उत्पाद 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर को पार कर जाएगा। भारत की ‘नीली अर्थव्यवस्था’ का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 4 प्रतिशत का योगदान है, जो अवसरों के सागर का प्रतिनिधित्व करता है। तट के किनारे नौ राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों, 12 प्रमुख और 200 से अधिक गैर-प्रमुख बंदरगाहों और नौगम्य जलमार्गों के व्यापक नेटवर्क के साथ, भारत महासागर आधारित व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खड़ा है।

भारत के आर्थिक विकास में प्रधानमंत्री की नित-नयी आर्थिक योजनाओं, अपनी जड़ों एवं माटी से जुड़ने, स्वदेशी अपनाने की प्रेरणा एवं विदेश यात्राओं का भी योगदान है।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर (आईएमईसी) सबसे आशाजनक कनेक्टिविटी परियोजनाओं में से एक है। 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित, आईएमईसी एक मल्टीमॉडल आर्थिक गलियारा है जिसमें शिपिंग, रेलवे, रोडवेज, बिजली केबल, हाई-स्पीड डेटा केबल और एक हाइड्रोजन पाइपलाइन शामिल है। गलियारे का उद्देश्य परिवहन दक्षता को बढ़ाना, रसद लागत को कम करना, आर्थिक एकता को बढ़ावा देना, रोजगार उत्पन्न करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके एक स्वच्छ, सुरक्षित दुनिया में योगदान देना है। भारत चीन से भी आगे निकलकर विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है, बड़ी आबादी को आर्थिक विकास का माध्यम बनाने में सरकार की सूझबूझ एवं योजनाएं कारगर साबित हो रही है। बड़ी आबादी के अनेक तरह के नुकसान हैं तो इसी से भारत में उत्पादों का उपभोग तेजी से बढ़ रहा है। इस तरह भारत न केवल उत्पादों के उपभोग का प्रमुख केंद्र बन बन रहा है बल्कि विश्व के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में भी उभर रहा है।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत पूर्व में ही वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्तमान स्तर 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2031 तक 7.5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा और इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। आगे आने वाले 10 वर्षों के दौरान आर्थिक क्षेत्र में भारत पूरी दुनिया का नेतृत्व करने जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्विक स्तर पर सुपर पावर बनने के पीछे भारत के विशाल आंतरिक बाजार, स्व-भाव एवं स्वदेशी का दर्शन मुख्य कारण है। आम जनता में स्व का भाव जगा कर, उनमें राष्ट्र प्रेम एवं स्व-संस्कृति की भावना विकसित करना भी आवश्यक है। इससे आर्थिक गतिविधियों को देशहित में करने की इच्छा शक्ति नागरिकों में जागृत होती है और देश के आर्थिक विकास में प्रबल तेजी दृष्टिगोचर होती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी वर्ष 1925 में, अपनी स्थापना के बाद से, भारतीय नागरिकों में स्व का भाव जगाने का लगातार प्रयास कर रहा है।

निश्चित ही भारत की आर्थिक प्रगति एक सुखद संकेत है, शीघ्र ही भारत विकासशील देशों के वर्ग से निकलकर विकसित देश हो जायेगा। एक दशक में भारत दसवें नंबर की अर्थव्यवस्था से तरक्की करके दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति बन गया। अनुमान है कि दो साल के अंदर हम तीसरी आर्थिक शक्ति बन जाएंगे। निस्संदेह इस वक्त भारत की आर्थिक विकास दर का सूचकांक दुनिया में सर्वाधिक है। जो भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने का संकेत दे रहा है। भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने को सकारात्मक रूप देने की अपेक्षा है, जिसमें गरीबी एवं भूखमरी का कलंक मिटना जरूरी है। आजादी के अमृत महोत्सव तक की आर्थिक यात्रा का लक्ष्य अब प्रजातांत्रिक समाजवाद एवं समतावादी समाज संरचना को हासिल करने का हो, देश में मानवीय मूल्यों, शांति एवं अहिंसक सिद्धांतों और आर्थिक समानता पर ध्यान देना होगा। भारत ने इस संदर्भ में पूरे विश्व को राह दिखाई है। इसी से गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे नागरिकों को कल का मध्यम वर्ग बनाएगी, इससे देश में विभिन्न उत्पादों का उपभोग बढ़ेगा तथा देश की आर्थिक उन्नति की गति भी तेज होगी। यह भारतीय सनातन संस्कारों के चलते ही सम्भव हो पाया है।

भारत में विशेष रूप से कोरोना महामारी के दौरान एवं इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा भारतीय सनातन संस्कारों का पालन करते हुए गरीब वर्ग के लाभार्थ चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। विशेष रूप से प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के अंतर्गत देश के 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त अनाज की जो सुविधा प्रदान की गई है एवं इसे कोरोना महामारी के बाद भी जारी रखा गया है, इसके परिणामस्वरूप देश में गरीब वर्ग को बहुत लाभ हुआ है और गरीब देश होने से दंश से तेजी से उबरने लगे हैं। वर्ष 2022 में विश्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक प्रतिवेदन के अनुसार, वर्ष 2011 में भारत में 22.5 प्रतिशत नागरिक गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने को मजबूर थे परंतु वर्ष 2019 में यह प्रतिशत घटकर 10.2 रह गया है। पिछले दो दशकों के दौरान भारत में 40 करोड़ से अधिक नागरिक गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। दरअसल पिछले लगभग 9 वर्षों के दौरान भारत के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। जिसके चलते भारत में गरीबी तेजी से कम हुई है और भारत को गरीबी उन्मूलन के मामले में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। भारत में अतिगरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले करोड़ों नागरिकों का इतने कम समय में गरीबी रेखा के ऊपर आना विश्व के अन्य देशों के लिए एक सबक एवं प्रेरणा है। भारत में गरीबी का जो बदलाव आया है वह धरातल पर दिखाई देता है। इससे पूरे विश्व में भारत की छवि बदल गई है। भारत की आर्थिक सोच, नीतियां एवं योजनाएं अब दुनिया के लिये अनुकरणीय बन रही है। दुनिया भारत की ओर संभावनाओं एवं आशाओं की नजर से देखने लगी है, यह बड़ा एवं सकारात्मक परिवर्तन न केवल आर्थिक महाशक्ति बल्कि विश्व का नेतृत्व करने की क्षमताओं का संकेत दे रहा है, जो सुखद है।

-ललित गर्ग

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं)

Source link

Firenib
Author: Firenib

EMPOWER INDEPENDENT JOURNALISM – JOIN US TODAY!

DEAR READER,
We’re committed to unbiased, in-depth journalism that uncovers truth and gives voice to the unheard. To sustain our mission, we need your help. Your contribution, no matter the size, fuels our research, reporting, and impact.
Stand with us in preserving independent journalism’s integrity and transparency. Support free press, diverse perspectives, and informed democracy.
Click [here] to join and be part of this vital endeavour.
Thank you for valuing independent journalism.

WARMLY

Chief Editor Firenib

2024 में भारत के प्रधान मंत्री कौन होंगे ?
  • नरेन्द्र दामोदर दास मोदी 47%, 98 votes
    98 votes 47%
    98 votes - 47% of all votes
  • राहुल गाँधी 27%, 56 votes
    56 votes 27%
    56 votes - 27% of all votes
  • नितीश कुमार 22%, 45 votes
    45 votes 22%
    45 votes - 22% of all votes
  • ममता बैनर्जी 4%, 9 votes
    9 votes 4%
    9 votes - 4% of all votes
Total Votes: 208
December 30, 2023 - January 31, 2024
Voting is closed