PCOD meaning in Hindi: PCOD और PCOS जो सिर्फ हमारे गलत खान-पान के कारण या खराब दिनचर्या के कारण पैदा हो सकती है. ये दोनों रोग महिलाओं में बढ़ता जा रहा है. हैरानी की बात ये है कि आजकल ये युवतियों में पनपने लगा है. इस लेख में हम इसी बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे, और कैसे इस बीमारी से युवतियां खुद को सुरक्षित जा सके, अथवा अपनी और अगर आप इस रोग से ग्रस्त है तो किस तरीके से इस रोग से मुक्ति पा सकेंगे?
PCOD full form: PCOD और PCOS के बारे में
पीसीओड का पूरा नाम होता है “पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज”(Polycystic Ovarian Disease) और POCS का पूरा नाम होता है “पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम”(Polycystic Ovarian Syndrome)। आज हम इन दोनों के बारे में जानेंगे और समझेंगे इन दोनों में कितना अंतर होता है.
गर्भ के लिए अभिशाप है ये रोग?
किसी भी विवाहित महिला के जीवन में मां बनना बहुत ही सुखदाई पल होता है. हर कोई विवाहित महिला मां बनना पसंद करती है, और यह उसके लिए कुदरत के वरदान जैसा अनुभव महसूस कराती है. परंतु अक्सर गलत दिनचर्या के कारण कई ऐसी बीमारियां पनपने लगी है, जिससे विवाह के बाद गर्भ ठहरने में काफी मुश्किलें पेश आती है. शादी के बाद गर्भ कंसीव करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण महिलाओं को अस्पतालों के चक्कर तक काटने पड़ते हैं.
क्या है पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS)?
आज हम आपको बताएँगे pcos kya hota hai. PCOS एक ऐसी समस्या है जोकि हार्मोन इंबैलेंस की वजह से पनप सकती है. इस समस्या के कारण महिलाओं के अंडाणु पर कई छोटे सीटबनते हैं, जिनसे वे नियमित तरीके से ओव्यूलेट नहीं होतीं हैं, और उनके हार्मोन स्तर भी असंतुलित हो सकते हैं।
PCOS Symptoms: PCOS के कुछ मुख्य लक्षण शामिल हैं:
- अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म की अनियमितता और असामान्य ब्लीडिंग।
- हिर्सुटिज़म: शरीर के अन्यग भागों पर अत्यधिक बाल प्रवृत्ति.
- वजन बढ़ना: अधिशरीर वजन बढ़ सकता है और वजन की कई समस्याएँ हो सकती हैं।
- एक्ने: त्वचा पर मुहांसे और एक्ने की समस्या।
- गर्भावस्था कंसीव करने में परेशानी: महिलाओं के हॉर्मोन स्तर में असंतुलन, जिसके कारण गर्भावस्था कंसीव करने में परेशानी हो सकती है।
- दर्दनाक मासिक धर्म: मासिक धर्म के साथ दर्द और असहनीयता।
क्या है पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसीज़ (Polycystic Ovary Disease)
आखिर ये पीसीओडी pcod kya hota hai? (Polycystic Ovary Disease) एक सामान्य महिलाओं की स्वास्थ्य समस्या है जो उनके गर्भाशय में एकाधिक गर्भाशय की अण्डाशयों के विकास के साथ जुड़ी होती है। यह अक्सर हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है और इसके कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि मासिक धर्म की अनियमितता, अत्यधिक बालों का उत्पादन, त्वचा की समस्याएँ और मोटापा।
पीसीओड का कारण यह हो सकता है कि शरीर में अधिक मात्रा में आंध्रप्रदेश का उत्पादन होता है, जिससे अण्डाशयों में सिस्ट बन सकते हैं। यह बीमारी महिलाओं के प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और मातृत्व संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है।
पीसीओड का उपचार मात्रा प्रबंधन, औषधियाँ और जीवनशैली परिवर्तनों के माध्यम से किया जा सकता है। यदि आपको ऐसा लगता है कि आपको पीसीओड हो सकता है, तो आपको एक प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श प्राप्त करना चाहिए।
pcod vs pcos: PCOD और PCOS में अंतर
PCOD (Polycystic Ovarian Disease) और PCOS (Polycystic Ovarian Syndrome) दोनों ही महिलाओं की एक स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इन दोनों के बीच में थोड़ा अंतर होता है:
- नाम का अंतर: PCOD और PCOS के नाम भिन्न होते हैं, लेकिन इनका मतलब समान होता है। PCOD को हिन्दी में “पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज” कहा जाता है, जबकि PCOS को “पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम” कहा जाता है।
- सिस्ट्स की संख्या: PCOD में अंडाणुओं के परिपिड़ी पर कई छोटे गर्मियां (सिस्ट्स) बनते हैं, जो ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। PCOS में भी ऐसे ही सिस्ट्स होते हैं, लेकिन यह केवल सिस्ट्स की संख्या नहीं होती, बल्कि यह शारीर के हॉर्मोन स्तर में भी असंतुलन को दर्शाता है।
- लक्षण: PCOD और PCOS के लक्षण एक समान हो सकते हैं, जैसे कि अनियमित मासिक धर्म, हिर्सुटिज़म (अत्यधिक बाल प्रवृत्ति), वजन बढ़ना, एक्ने (मुहांसे), आदि।
- हार्मोन स्तर: PCOD के चलते अधिक अंड्रोजन (पुरुष हॉर्मोन) की उत्पत्ति होती है, जबकि PCOS में अंड्रोजन के साथ-साथ अन्य हॉर्मोन में भी असंतुलन हो सकता है।
कुल मिलाकर, PCOD और PCOS दोनों ही अधिकतर अंड्रोजन हॉर्मोन के असंतुलन के कारण होते हैं, जिनसे महिलाओं की बाल प्रवृत्ति, मासिक धर्म की अनियमितता, और गर्भावस्था कंसीव करने में परेशानी हो सकती है।
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किस अवस्था में होता है रोग?
PCOD और PCOS महिलाओं के आवयविक विकास के साथ जुड़े होते हैं और यह किसी भी उम्र में हो सकते हैं, परंतु आमतौर पर यह पहली माहवारी के बाद से हो सकते हैं, जो आमतौर पर 10-16 वर्ष की आयु में होती है।
कुछ कारण निम्नलिखित हो सकते हैं जो PCOD और PCOS की विकास कारणों में शामिल हो सकते हैं:
- आनुवंशिक: परिवार में PCOD या PCOS की समस्या होने की धारणा है, तो यह आपके लिए भी एक कारण हो सकता है।
- शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन: अंड्रोजन (पुरुष हॉर्मोन) की अत्यधिक उत्पत्ति या अन्य हॉर्मोनल असंतुलन PCOD और PCOS के मुख्य कारण हो सकते हैं।
- मोटापा, आहार और व्यायाम: असंतुलित आहार, अत्यधिक वजन, और कम व्यायाम हमारी दिनचर्योया को बिगड़ देता है. इस हमारे शरीर में हार्गमोन का संतुलन बिगाड़ देते है. जिसके कारण PCOD अथवा PCOS हो सकता है।
- असंतुलित जीवनशैली: अत्तयधिक तनाव, असंतुलित दिनचर्या, और अन्य जीवनशैली संबंधित कारक भी प्रभावित कर सकते हैं।
- मेडिकल समस्याएँ: कुछ मेडिकल समस्याएँ भी PCOD और PCOS की समस्या को बढ़ावा दे सकती हैं, जैसे कि डायबिटीज़, थायराइड असंतुलन, आदि।
यदि आपको या किसी व्यक्ति को PCOD या PCOS के संदेह है, तो सबसे अच्छा होता है कि आप एक डॉक्टर से परामर्श लें और सही जांच व उपचार का सुनिश्चित करें।
PCOS और PCOD का निदान
डॉक्टर के सहायता से PCOS की समस्या को दूर किया जा सकता है और उपचार उन्हीं के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। यह समस्या सही उपचार के साथ संभावतः प्रबल नियंत्रण किया जा सकता है।
PCOS का सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए निम्नलिखित कदम उपयोगी साबित हो सकते हैं:
डॉक्टर की सलाह:
सबसे पहले, आपको अपने डॉक्टर से मिलकर सलाह प्राप्त करनी चाहिए। उन्हें आपकी स्थिति की विशेष जानकारी देनी चाहिए ताकि वे सही उपचार प्लान बना सकें।
आहार:
स्वस्थ आहार खाना प्रमुख होता है। आपको प्रोटीन, फाइबर, फल, सब्जियाँ और पूरे अनाजों को शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए। अधिक खासतर सक्रिय मिल्क प्रोडक्ट्स और फास्ट फूड से बचने का प्रयास करें।
व्यायाम:
नियमित शारीरिक गतिविधि करना आपके वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और हार्मोन स्तर को संतुलित रखने में मदद कर सकता है।
दवाइयाँ:
डॉक्टर के परामर्श के आधार पर आपको दवाइयाँ और सुप्लीमेंट्स की प्रेस्क्रिप्शन की जा सकती है, जैसे कि हार्मोनल और शरीर के अन्य प्रभावों को संतुलित करने वाली दवाइयाँ।
तंत्रिका प्रबंधन:
स्थायी तंत्रिका प्रबंधन के तरीके जैसे कि योग और मेडिटेशन स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो PCOS के प्रबंधन में महत्वपूर्ण होते हैं। याद रखें कि हर महिला की स्थिति अलग होती है, इसलिए सही उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।