आप सभी जानते हैं 17 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के आगामी बजट पेश किया जाने वाला है। इसी बीच बजट से एक दिन पहले विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े सामने रखे। आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आये आंकड़ों के मुताबिक राज्य की विकास दर 7.1 फीसदी है। इसी के साथ खबर के मुताबिक Himachal Pradesh में प्रति व्यक्ति आय में इज़ाफ़ा देखने को मिला है और यह बढ़कर 2,35,199 रुपए तक पंहुच गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें Himachal Pradesh की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रिय प्रति व्यक्ति आय की तुलना में 49,345 रुपए अधिक है। हालांकि, प्रदेश को राजस्व गिरने एवं केंद्र से मिलने वाले अनुदान में कमी के चलते वित्तीय चुनौतियां का सामना करना पद रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023-24 में प्रदेश की विकास दर 7.1 प्रतिशत रहेगी। कोरोना के बाद अब धीरे-धीरे राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में इज़ाफ़ा देखने को मिल रहा है और पिछले साल करीब 1,60,000 पर्यटक हिमाचल आए।
इस प्रकार है Himachal Pradesh का अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद
वर्तमान आंकड़ों को देखते हुए अनुमान लगाया गया है कि राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 2,07,430 करोड़ रूपये रह सकता है। साल 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र में 8.9 फीसदी की वृद्धि देखने को मिल सकती है, वहीं सर्विस सेक्टर में भी ग्रोथ देखने को मिल रही है। आंकड़ों के मुताबिक Himachal Pradesh की 55 प्रतिशत महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों सक्रिय भागीदारी है। प्रदेश की बेरोजगारी दर 4.4 प्रतिशत आंकी गई है, जो अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम है।
पिछले 10 सालों में Himachal Pradesh की गरीबी दर में कमी देखने को मिली है और 4.67 लाख लोग गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं। सरकार का दावा है कि प्राकृतिक आपदा के बाद 4500 करोड़ के पैकेज से लोगों को काफी मदद मिली है। आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था के अच्छे संकेत देखने को मिल रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वित्तीय स्थिति को लेकर ज्यादा अच्छी खबर नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय अनुदान में करीब 12 फीसदी की कटौती देखने को मिलेगा।
आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आए आंकड़े
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक बेरोजगारी दर में कमी आई है, विकास दर में सुधार के संकेत मिल रहे हैं और विनिर्माण क्षेत्र में सबसे काफी ग्रोथ देखने को मिल सकती है। इसी के साथ प्रदेश की महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में सक्रीय भूमिका निभा रही हैं और वहीं दूसरी तरफ सरकार की कमाई और केंद्रीय अनुदान को झटका लगा है।